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राजभवन ने तोड़ा स्टेट यूनिवर्सिटी 1973 का नियम प्रोफेसर पाठक को लगातार तीसरी बार बनाया कुलपति। क्या प्रोफेसर पाठक के साथ राजभवन के लोग भी हैं शामिल। जिसकी वजह से राज्यपाल नहीं ले पा रही हैं कोई निर्णय। शिक्षा विभाग में चर्चा का विषय है पूरा मामला आखिर राज्यपाल ने क्यों साधी है चुप्पी।

विपिन सागर (मुख्य संपादक)

कानपुर/लखनऊ छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक को राजभवन से हमेशा सहयोग और आशीर्वाद प्रदान होता रहा है। नियम तोड़ने की रिवाज प्रोफेसर विनय कुमार पाठक कि नहीं राजभवन भी नियम तोड़ने में माहिर है। प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के लिए हर जगह नियम तोड़े गए और जब बड़े निर्णय लेने की बात आई तो अभी भी राजभवन पीछे हटा हुआ है। आखिर कौन सी चाबी प्रोफेसर विनय पाठक ने राजभवन की ले रखी है कि जिससे किसी तरह कि राजभवन कार्यवाही नहीं कर पा रहा है। साथ ही मीडिया से भी दूरी बना रखी है।

राजभवन ने तोड़ा स्टेट यूनिवर्सिटी 1973 का नियम
स्टेट यूनिवर्सिटी 1973 के नियमानुसार एक प्रदेश में केवल दो बार ही कुलपति का पूर्णकालिक चार्ज दिया जा सकता है। लेकिन राजभवन की गवर्नर साहिबा आनंदीबेन पटेल ने प्रोफेसर विनय पाठक पर विशेष अनुकंपा दिखाते हुए तीसरी बार भी पूर्णकालिक नियुक्त कर दिया। जिससे प्रदेश में नियमावली तोड़ने की शुरुआत स्वयं राजभवन ने शुरू कर दी। इस बात की चर्चा पूरे देश भर में हैं भले ही राज भवन मैं कहने से लोग कतरा रहे हो लेकिन चर्चाओं का बाजार गर्म बना हुआ है। कि आखिर स्वयं प्रदेश की राज्यपाल ने स्टेट यूनिवर्सिटी के नियम को ही ताक पर रख दिया

आनंदीबेन पटेल कब लेंगी निर्णय
विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल कानपुर विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, और आगरा विश्वविद्यालय के मामले की चल रही जांच को कब संज्ञान लेगी इस बात की चर्चा पूरे देश में हैं कि आखिर कुलाधिपति कौन से समय का इंतजार कर रही है। जिससे पूर्ण रूप से फैसले ले सकें क्या अभी भी उम्मीद है कि प्रोफेसर पाठक अपनी बेगुनाही के सबूत एसटीएफ को दे देंगे और उनकी कुर्सी बची रहेगी। या इसकी वजह कुछ और ही है

राजभवन की चुप्पी का राज
सूत्र बताते हैं के प्रोफेसर विनय पाठक ने जितने भी कारनामे किए हैं। उसमें राजभवन के कुछ लोग भी शामिल हैं, जिसकी वजह से अभी तक किसी तरह का निर्णय नहीं लिया गया शामिल सभी लोग प्रोफेसर पाठक के बचाव में जमकर लगे हुए हैं। हालाकी द हिंदी न्यूज़ इस खबर की पुष्टि नहीं करता केवल यह खबर सूत्रों के हवाले से है।
(पढ़ते रहिए द हिंदी न्यूज़)

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