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कानपुर विश्वविद्यालय में कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक ने इन लोगों से जमकर लूटवाई मलाई। दागी प्रोफेसरों को भी दिया पद, छेड़छाड़ के मामले को रफा-दफा करने के लिए एक प्रोफेसर को कर दिया नियुक्त।


विपिन सागर (मुख्य संपादक)

कानपुर/छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में, कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने करोड़ों रुपए का काम विश्वविद्यालय का हित कहकर कराया जिसकी चर्चा पूरे विश्वविद्यालय में बनी हुई है। साथ ही कर्मचारियों यह भी कह रहे हैं, कि विश्वविद्यालय का पूरा धन धीरे धीरे र्बाद कर दिया जा रहा है
जो कार्य कुछ ही पैसों में किया जा सकता है, उनके लिए करोड़ों रुपया खर्च किए जा रहे हैं। पूर्व में रही कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने कुलपति आवास का सुंदरीकरण कराया था, जिसका खर्चा लगभग 6 लाख रुपया आया था। वही विश्वविद्यालय के मौजूदा कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने लगभग 6 गुना पैसा ज्यादा लगाकर महज 2 साल में फिर उसका सुंदरीकरण करा दिया। आखिर कहां से आते हैं इतने महंगे कारीगर। क्यों किया गया है विश्वविद्यालय के धन का दुर्पयोग।
कानपुर विश्वविद्यालय में कुछ ही चेहते शिक्षकों और कर्मचारियों पर जमकर मेहरबान हुए कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक जिनकी अनुकंपा से मलाई जैसे पद पर भी बैठे। साथ में विश्वविद्यालय के धन से खूब मौज भी उड़ाई इतना ही नहीं कुछ लोगों पर तो ऐसी मेहरबानी रही है। कि सरकारी गाड़ियां देकर लाखों रुपए महीने का खर्चा भी उठाया

इतने लोग रहे खास इन पर रही खास अनुकंपा

वित्त अधिकारी
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी एस सी चौधरी ने विश्वविद्यालय के धन को बारिश की तरह उड़ाया हर सही और गलत फाइल को आंख बंद कर पास करते ही गए। जिसकी वजह से विश्वविद्यालय को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंच रहा है। सूत्रों की माने तो वित्तीय अधिकारी अपनी स्वयं पर्सनल गाड़ी से चलते हैं, लेकिन उसका रुपया भी विश्वविद्यालय से प्राइवेट गाड़ी बतौर वसूलते हैं। वित्त अधिकारी का कुछ ही समय सेवानिवृत्ति का बचा हुआ है ऐसे माहौल में वित्त अधिकारी ने जमकर मलाई उड़ाई है।हालांकि यह भी एसटीएफ की रडार पर है।

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार
कानपुर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉक्टर अनिल यादव पर कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने विशेष अनुकंपा दिखाई तो बदले में डॉ अनिल यादव ने भी जमकर सहयोग किया हर अच्छी बुरी फाइल को बिना सोचे समझे पास करते चले गए। जबकि कई फाइलों में तमाम अनियमितताएं थी उसके बाबजूद कोई फर्क नही पड़ा। पूर्व में अनिल यादव की नियुक्ति को लेकर तमाम सवाल उठे थे, उसके बावजूद भी रजिस्ट्रार जैसे पद पर बखूबी तैनात हैं। साथ ही पूर्व में डॉक्टर अनिल यादव का ट्रांसफर लखनऊ विश्वविद्यालय के लिए हुआ लेकिन प्रोफेसर विनय पाठक की विशेष अनुकंपा से विश्वविद्यालय में जमे हुए हैं। जबकि कोई ऐसा पत्र भी नहीं आया जिससे इनको विश्वविद्यालय में रोका जाए ऐसे तमाम मामले हैं जिनमें अनिल यादव पर भी सवाल खड़े होते हैं। कहीं ऐसा तो नहीं मलाईदार विश्वविद्यालय को छोड़ने का मन ही ना किया हो यह भी एसटीएफ की रडार पर है।

कानपुर विश्वविद्यालय में तीन परीक्षा नियंत्रक
शासन ने अंजन कुमार मिश्र की नियुक्ति कानपुर विश्वविद्यालय में बतौर परीक्षा नियंत्रक के पद पर की, लेकिन परीक्षा नियंत्रक के तौर पर कहा जाए तो एक नहीं तीन तीन परीक्षा नियंत्रक कानपुर विश्वविद्यालय में है। जिसमे एक सीडीसी डायरेक्टर प्रो आर के द्विवेदी जिनको प्रेक्टिकल वाइवा जैसी तमाम जिम्मेदारी दे रखी हैं। वही दूसरे परीक्षा नियंत्रक सुधांशु सुधांशु पांड्या हैं। विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के साथ साथ मेडिकल की परिस्खाओ की जिम्मेदारी दे रखी है। जब छात्रों को समस्या होती है तो वे यही नहीं समझ पाता कानपुर विश्वविद्यालय का परीक्षा नियंत्रक कौन है। उत्तर बताते हैं प्रैक्टिकल वाइवा के साथ-साथ मेडिकल परीक्षा में जमकर मलाई उतारी गई है। जिसकी चर्चाएं भी विश्वविद्यालय में हैं, यह मामला आगरा और कानपुर विश्वविद्यालय का एसटीएफ की नजर में है।

सीडीसी डायरेक्टर की भी न्युक्ति पर बड़ा सवाल
कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने, कानपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर आरके द्विवेदी क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर को बतौर सीडीसी डायरेक्टर के पद पर बुलाया लगभग 2 माह बीतने के बाद सीडीसी डायरेक्टर के पोस्ट निकाली है। जिसमें आरके द्विवेदी के साथ अन्य लोगों ने भी आवेदन किया लेकिन अन्य प्रोफेसर अपात्र निकले और पहले से नियुक्त किए गए सीडीसी डायरेक्टर को ही 3 साल के लिए नियुक्त कर दिया। हालांकि इसकी चर्चा कानपुर विश्वविद्यालय में जमकर हुई लेकिन कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक के सामने बोलता तो कौन। हालांकि इनको सरकारी सुविधाओं के साथ-साथ सरकारी गाड़ी ड्राइवर के साथ अन्य खर्चे भी दिए गए जोकि विश्वविद्यालय के लाखों रुपए महीने के हिसाब से जाता है पद संभालते ही सीडीसी डायरेक्टर आरके द्विवेदी बाहर की परीक्षा का वायवा और प्रैक्टिकल जैसी जिम्मेदारी दे दी गई है। इस बात इनपर तमाम आरोप भी लगे लेकिन किसी की कोई सुनी नहीं कहीं।


एडमिनिस्ट्रेटिव डीन खुद बनाया पद
कानपुर विश्वविद्यालय में एडमिनिस्ट्रेटिव डीन का नया पद बना दिया। जिसकी जिम्मेदारी प्रोफेसर सुधांशु पांड्या को दी गई और ऐसी तमाम जिम्मेदारियां सुधांशु पांड्या पर रखी गई जिनका निर्णय लेने में कुलपति को आसानी हो। जबकि पूर्व में प्रोफेसर सुधांशु पांडेय पर छात्रा की छेड़छाड़ के जैसे गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसमें सुधांशु पांड्या काफी समय कानपुर पुलिस के हाथ से दूर रहे थे। उनको इस तरह का पद देकर विश्वविद्यालय मैं चर्चा का विषय बन गए थे प्रोफेसर विनय पाठक। हालांकि सूत्र बताते हैं एक प्रोफेसर की नियुक्ति उस मुकदमा को खत्म करने की शर्त पर की गई है। हालांकि द हिंदी न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है लेकिन सूत्र बताते हैं।

प्राइवेट कर्मचारियों को 40 से 60 हजार तक वेतन सोमेंद्र मिश्रा भी शामिल
अपने चहेते प्राइवेट कर्मचारी पर मेहरबान कुलपति ने
छात्र अधिनिष्ठता प्रकोष्ठ(एसएससी) विभाग में बड़े पद के साथ प्राइवेट कर्मचारी सोमेंद्र मिश्रा को बैठाया गया है।
इतना ही नहीं कई सीनियर क्लर्क भी सोमेंद्र मिश्रा के नीचे कार्य करते हैं। सूत्र बताते हैं सोमेंद्र मिश्रा का वेतन लगभग ₹50000 हैं जिसको लेकर के विश्वविद्यालय में हंगामा भी हुआ था सूत्र यह भी बताते हैं। सूत्र यह भी बताते हैं जिस कंपनी से सोमेंद्र मिश्रा सहित तमाम लोग लगे हैं वह कंपनी प्रोफेसर विनय पाठक के करीबी की है।
अगली खबर में बताएंगे अजय यादव, रोली शर्मा,संदेश गुप्ता, एकेटीयू से आए शुक्ला जी, प्रभात द्विवेदी, के साथ तमाम ऐसे लोग है जिन्होंने विश्वविद्यालय में अपनी मनमानी चलाई। जमकर मलाई लूटी

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