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कानपुर विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार से बनती है बिल्डिंगें और राज्यपाल से करा दी जाती है शिलान्यास। आखिर विश्वविद्यालय के करोड़ों रुपए के घोटाले का पैसा क्या राजभवन और सचिवालय में बैठे आकाओं तक पहुंचता है। जिसकी वजह से नहीं होती कोई कार्यवाही।


विपिन सागर (मुख्य संपादक)

छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में सदियों से चले आ रहे घोटालों पर कोई पाबंदी नहीं लगा पा रहा है। विश्वविद्यालय में घोटाला चरम सीमा पर है यहां तक की कामकाज देखने वाले रिटायर्ड जेई एके सिंह ने भी विश्वविद्यालय को करोड़ों रुपए का चूना लगा दिया। तो अंदाजा लगाइए ऊपर बैठे अधिकारी कितने रुपए डकार रहे होंगे। 
आखिर इन सभी अधिकारियों पर क्यों कार्यवाही नहीं हो रही क्या विश्वविद्यालय का सिस्टम राजभवन से लेकर सचिवालय तक सब सेट हैं। आखिर क्यों नहीं बैठती इन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जांच।

क्या है मामला।

कानपुर विश्वविद्यालय में 18 माह पूर्व लगभग दो करोड़ की लागत से बने गर्ल्स कॉमन रूम जो कि इस समय प्लेसमेंट सेल बना रखा है। अभी 2 वर्ष पूरे भी नहीं हुए और बिल्डिंग में दरार पड़ना शुरू हो गई। यह बिल्डिंग तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने बनवाई थी, जिसका उद्घाटन उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया था जिसकी देखरेख विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचार जे ई एके सिंह ने की थी अंदाजा लगाया जा सकता है। लगभग दो करोड़ की लागत से बने गर्ल्स कॉमन रूम जब 2 साल नहीं चला तो घोटाला कैसे चरम सीमा पर बना हुआ है। हालांकि चर्चा यह भी है इस समय भी बन रही बिल्डिंगों में भी घोटाला चरम सीमा पर है, और उसकी देखरेख पेपर में कोई और लेकिन वास्तविकता में रिटायर्ड जेई एके सिंह ही कर रहा है।

आखिर क्यों नहीं होती कार्यवाही

कानपुर विश्वविद्यालय में लगातार घोटालों पर घोटाले होते जा रहे हैं लेकिन किसी भी भ्रष्टाचार अधिकारियों पर कार्यवाही नहीं होती। आखिर क्यों क्या जो चर्चा विश्वविद्यालय में है वह सही है, इन भ्रष्टाचारियों का सिस्टम सीधे ऊपर तक है। आखिर सरकारी पैसे का दुरुपयोग और उसकी आड़ में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंचाने में लगे हुए हैं।


देश भर में चर्चा में बने हैं कुलपति

हालांकि इस समय प्रदेश ही नहीं देशभर में भ्रष्टाचार के मामलों में कुलपतियों की सूची सबसे ऊपर हैं। एक के बाद एक कुलपति पर लगातार हंटर चलता नजर आ रहा है

इसमे बड़े अधिकारी भी हैं सामिल

क्या भ्रष्टाचार कुलपतियों और रजिस्टार की मदद के लिए वास्तविकता में राजभवन और सचिवालय में कोई आका बैठा हुआ है।
जिसके आशीर्वाद से कानपुर विश्वविद्यालय सहित तमाम विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। क्या उन आकाओं के आशीर्वाद से ऐसे ही हमेशा घोटाले होते रहेंगे और आकाओं की जब भी भरते रहेंगे। द हिंदी न्यूज़ इस बात की पुष्टि नहीं करता है।
भ्रष्टाचार कराने में फाइनेंस ऑफीसर का होता है मुख्य किरदार

भ्रष्टाचारियों के सहयोग में कानपुर विश्वविद्यालय के फाइनेंस ऑफीसर का किरदार खूब नजर आता है। सूत्र बताते हैं सही फाइलों को पास कराने में महीनों बीत जाते हैं, लेकिन घोटालों की फाइलों को पास करने में हवा तक नहीं लगती और मिनटों में पास हो कर चली जातीं है। कहीं ऐसा तो नहीं विश्वविद्यालय में फाइनेंस ऑफिसर भी खूब मलाई काट रहे हो।

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