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नैक ग्रेडिंग और एनआईआरएफ की रेंकिंग के बाद भी बदहाल होता जा रहा है कानपुर का सीएसए विश्वविद्यालय। एक एक प्रोफ़ेसर पर कई कई विभाग की जिम्मेदारी।


विपिन सागर (मुख्य संपादक)
कानपुर/ चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर, दिन प्रतिदिन अपनी ही समस्याओं से उभरने का नाम नही ले रही है। एनआईआरएफ और नेक ग्रेडिंग पाने के बाद भी विश्वविद्यालय गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। हम बात कर रहे हैं, सीएसए विश्वविद्यालय में शिक्षा, विकास कार्य, सहित तमाम ऐसे कार्य हैं, जिन सभी को करने में असफलता दिखाई दे रही है।
उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग की शिक्षा पाने के लिए छात्रों की पहली पसंद चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय होती है। लेकिन पढ़ाई के लिए दाखिला लेने के बाद शिक्षकों की गिनती देख छात्र चिंतित हो जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के तमाम प्रयासों के बाद एक अच्छा संस्थान बनाने के लिए चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर, दिन प्रतिदिन अपनी ही समस्याओं से उभरने का नाम नही ले रही है। एनआईआरएफ और नेक ग्रेडिंग पाने के बाद भी विश्वविद्यालय गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। हम बात कर रहे हैं, सीएसए विश्वविद्यालय में शिक्षा, विकास कार्य, सहित तमाम ऐसे कार्य हैं जिन सभी को करने में असफलता दिखाई दे रही है।
उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग की शिक्षा पाने के लिए छात्रों की पहली पसंद चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय होती है। लेकिन पढ़ाई के लिए दाखिला लेने के बाद शिक्षकों की गिनती देख छात्र चिंतित हो जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के तमाम प्रयासों के बाद एक अच्छा संस्थान बनाने के लिए नेक ग्रेड भी पास कर लिया जो कि अपने आप में एक बड़ा कीर्तिमान है। जिसे सुन छात्रों की पढ़ाई को लेकर और चाह बढ़ गई लेकिन आज भी अपनी समस्याओं से सीएसए विश्वविद्यालय जूझ रहा है।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर में टीचिंग और नॉन टीचिंग के सैकड़ो पद काफी समय से खाली हैं। लेकिन पदों को भरने के लिए विश्वविद्यालय कोई खास इंतजाम नहीं कर पा रहा है। जिससे छात्रों की पढ़ाई और विभागों की देखे रेख ठीक ढंग से नही हो पा रही है। जिसकी वजह से विश्वविद्यालय दिन प्रतिदिन अपने ही कीर्तिमानों से पीछे आता जा रहा है।


कब हुई थी आखिरी नियुक्ति
विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती की बात करें तो 2002 में कुलपति डॉक्टर एस बी सिंह के समय आखिरी नियुक्तियां हुई थी, तब से लेकर आज तक लगातार नियुक्तियों को लेकर के चर्चाओं रहने वाले विश्वविद्यालय में अभी भी शिक्षकों का इंतजार है। बाकी बचे शिक्षक और कर्मचारी भी धीरे-धीरे सेवानिवृत्ति हो रहे हैं। जिसकी वजह से वाली बचे कर्मचारियों पर बोझ बढ़ता ही जा रहा है।

एक एक प्रोफ़ेसर पर कई कई पद।
चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय की बात करें तो एक-एक प्रोफेसर पर दो या तीन विभाग की जिम्मेदारी दे रखी है। जिसकी वजह से विश्वविद्यालय की व्यवस्थाएं और लाचर होती जा रही हैं।

नेक ग्रेडिंग से छात्रों को ये होने वाला था फायदा : नैक रेटिंग से स्टूडेंट्स को शिक्षण संस्थान के बारे में सही जानकारी मिलने वाली थी। छात्रों को संस्थान के बारे में शिक्षा की गुणवत्ता, अनुसंधान, बुनियादी ढांचा और संसाधन जैसी जानकारी हासिल करने में आसानी होती है। नैक ग्रेडिंग के जरिए छात्र अपने लिए बेहतर कालेज तलाश कर सकते थे। इतना ही नहीं, नैक ग्रेड शिक्षण संस्थानों की दी गई डिग्रियों का मूल्य भी निर्धारित करते हैं। लेकिन चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय इन सभी सुविधाओं से बेखबर है। नेक ग्रेड भी पास कर लिया जो कि अपने आप में एक बड़ा कीर्तिमान है। जिसे सुन छात्रों की पढ़ाई को लेकर और चाह बढ़ गई लेकिन आज भी अपनी समस्याओं से सीएसए विश्वविद्यालय जूझ रहा है।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर में टीचिंग और नॉन टीचिंग के सैकड़ो पद काफी समय से खाली हैं। लेकिन पदों को भरने के लिए विश्वविद्यालय कोई खास इंतजाम नहीं कर पा रहा है। जिससे छात्रों की पढ़ाई और विभागों की देखे रेख ठीक ढंग से नही हो पा रही है। जिसकी वजह से विश्वविद्यालय दिन प्रतिदिन अपने ही कीर्तिमानों से पीछे आता जा रहा है।


कब हुई थी आखिरी रेगुलर नियुक्ति
विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती की बात करें तो 2002 में कुलपति डॉक्टर एस बी सिंह के समय आखिरी नियुक्तियां हुई थी, तब से लेकर आज तक लगातार नियुक्तियों को लेकर के चर्चाओं रहने वाले विश्वविद्यालय में अभी भी शिक्षकों का इंतजार है। बाकी बचे शिक्षक और कर्मचारी भी धीरे-धीरे सेवानिवृत्ति हो रहे हैं। जिसकी वजह से बचे हुए कर्मचारियों पर बोझ बढ़ता ही जा रहा है।

एक एक प्रोफ़ेसर पर कई कई पद।
चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय की बात करें तो एक-एक प्रोफेसर पर दो या तीन विभाग की जिम्मेदारी दे रखी है। जिसकी वजह से विश्वविद्यालय की व्यवस्थाएं और लचर होती जा रही हैं।

नेक ग्रेडिंग से छात्रों को ये होने वाला था फायदा : नैक रेटिंग से स्टूडेंट्स को शिक्षण संस्थान के बारे में सही जानकारी मिलने वाली थी। छात्रों को संस्थान के बारे में शिक्षा की गुणवत्ता, अनुसंधान, बुनियादी ढांचा और संसाधन जैसी जानकारी हासिल करने में आसानी होती है। नैक ग्रेडिंग के जरिए छात्र अपने लिए बेहतर कालेज तलाश कर सकते थे। इतना ही नहीं, नैक ग्रेड शिक्षण संस्थानों की दी गई डिग्रियों का मूल्य भी निर्धारित करते हैं। लेकिन चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय इन सभी सुविधाओं से बेखबर है।

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