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केंद्रीय कृषि मंत्री ने जाने केवीके के नवोन्मेषी कार्य


कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के  कृषि विज्ञान केंद्र कानपुर देहात,कन्नौज, फतेहपुर एवं औरैया ने
दीनदयाल शोध संस्थान, चित्रकूट द्वारा 15 से 17 अप्रैल, 2022 में सतत विकास के लक्ष्य विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में  नवोन्मेषी तकनीकियों का प्रदर्शन किया ।
प्रदर्शित तकनीकियों  का अवलोकन करते माननीय केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी, सतना, मध्य प्रदेश के सांसद श्री गणेश सिंह पटेल जी, निदेशक, अटारी, कानपुर के डॉ.यू. एस. गौतम, दीन दयाल शोध संस्थान के महासचिव अभय सिंह तथा अन्य विशिष्ट अतिथियों को केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा वी .के. कनौजिया, मृदा वैज्ञानिक डा . अरविंद कुमार व मौसम वैज्ञानिक अमरेंद्र यादव ने तकनीकियों की जानकारी दी। डॉ. कनौजिया ने मान . मंत्री जी को बताया कि केंद्र के द्वारा आलू की खेती को लाभदायक बनाने के लिए प्रजातियों का प्रचार प्रसार किया गया।


 जिसे किसान भाइयों ने अपनाया। आज किसान कुफरी बाहर  और कुफरी बादशाह के स्थान पर कुफरी चिप्सोना-1, कुफरी चिप्सोना-3,  कुफरी ख्याति, कुफरी सिंदूरी, कुफरी पुखराज जैसी अधिक उत्पादन वाली प्रजातियों को शीघ्र तथा मध्यम बुवाई के लिए बड़े क्षेत्रफल पर अपनाया है। एक और प्रजाति जो कुफरी नीलकंठ के नाम से प्रचलित है उसकी भी खेती कृषि विज्ञान केंद्र के किसानों ने प्रारंभ कर दी है। डॉ कनौजिया ने यह भी बताया कि आलू में चेचक तथा काली रूसी की बहुत बड़ी समस्या थी जिसे बीज के उपचार तथा भूमि के शोधन के द्वारा काफी बड़ी मात्रा में कम किया जा चुका है।आज किसान संतुलित उर्वरकों के प्रयोग, अच्छी उन्नतशील प्रजातियां तथा जैव कीटनाशकों के प्रयोग से गुणवत्ता युक्त अधिक आलू का उत्पादन प्रारंभ कर चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अधिक आय के लिए किसान गर्मी में मूंगफली की खेती, ग्रीष्मकालीन मक्का, टमाटर की खेती तथा मेंथा आदि की खेती को भी बड़े क्षेत्रफल में अपना चुके हैं । फूलों की खेती करने वाले किसान संतुलित उर्वरकों का प्रयोग कर फूलों के उत्पादन में 20 से 25% तक अधिक उपज ले रहे हैं। डॉ कनौजिया ने यह भी बताया कि अब जनपद के किसान परंपरागत गेहूं की प्रजातियों को छोड़कर नई विकसित उन्नतशील प्रजातियों को बड़े पैमाने पर उगा रहे हैं । 

इस प्रकार कृषि के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा परिवर्तन देखा जा सकता है। बांदा कृषि विश्वविद्यालय, बांदा के  निदेशक प्रसार ने भी कृषि तकनीकियों को जाना तथा केंद्र के प्रयासों की सराहना की। इस अवसर पर देश के विभिन्न भागों से आए वैज्ञानिकों ने भी अनुभवों को साझा किया।

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