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कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव की फिर बढ़ सकती हैं मुश्किलें, इस मामले की जांच करेंगे उत्तर प्रदेश के सीनियर IAS महेंद्र प्रसाद अग्रवाल


विपिन सागर (मुख्य संपादक)

उत्तर प्रदेश/कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति और कुल सचिव की फिर से मुसीबतें बढ़ सकती हैं। हालांकि हाल ही में कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक चर्चाओं में रहे हैं। मामला पूरी तरह शांत नहीं हो पाया उसके बाद फिर एक नया मामला कानपुर विश्वविद्यालय का उजागर हुआ है। कानपुर विश्वविद्यालय में हाल ही में हुई भर्तियों को लेकर है जहां पिछड़े वर्ग के आरक्षण को ताक पर रखकर विश्वविद्यालय में कुलसचिव और कुलपति द्वारा नियुक्तियां कर डाली अब इस मामले की एक सीनियर आईएएस को जांच देदी गई है। साथ ही यह आदेश भी दिया गया है जांच को महज 15 दिनों में ही प्रेषित करें। 


यह है पूरा मामला। दिनांक 4 अगस्त 2022 को कानपुर विश्वविद्यालय पूर्ण स्ववित्वपोषित शिक्षक कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ शैलेंद्र सिंह द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में लिखित शिकायत कर पूरी जानकारी दी और विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों में धांधली का विवरण भी भेजा जिसमें पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को कोई आरक्षण नहीं दिया गया। इस मामले को पूरी तरह संज्ञान में लेते हुए, राष्ट्रीय अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग आयोग ने तत्काल प्रभाव से जांच के आदेश दे दिए। इतना ही नहीं साथ में यह भी लिखा है पत्र में की इस में जांच में कोई लापरवाही न हो और महज 15 दिन में ही इसको पूरा किया जाए। 
जबकि भारत सरकार के संविधान में अनुच्छेद 338ख के तहत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया है, संविधान 102वे संशोधन अधिनियम 2018 के अंतर्गत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया है। उसके बावजूद कानपुर विश्वविद्यालय ने सभी अधिनियमो को ताक पर रखकर बिना पिछड़ा वर्ग आरक्षण दिए ही नियम विरुद्ध विश्वविद्यालय में तमाम नियुक्तियों को कर दिया है। जिसकी जांच अब शुरू हो गई है।

ये करेंगे जांच। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में शिकायत पहुंचने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर के आदेशानुसार विजेंद्र कुमार अवर सचिव भारत सरकार ने तत्काल आदेश करते हुए महेंद्र प्रसाद अग्रवाल सीनियर आईएएस प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग कच्छ संख्या तीन नवीन भवन सचिवालय लखनऊ उत्तर प्रदेश को आदेश करते हुए 15 दिन में जांच को पूरी करने का और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को प्रेषित करने की बात कही है। हालांकि कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक का मामला अभी भी सीबीआई में चल रहा है। इस बीच एक और पत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर प्रो विनय कुमार पाठक और कुल सचिव डॉ अनिल यादव की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
जानकारी कानपुर विश्वविद्यालय स्ववित्तपोसित एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर शैलेंद्र सिंह ने दी है।

केंद्र सरकार जल्द एक और कुलपति की जांच करने का दे सकती है आदेश।

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