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कानपुर विश्वविद्यालय में पकड़े गए जुए का मामला गरमाया हुआ है हर तरफ होने लगी हैं चर्चा। जांच अधिकारियों ने केवल 2 कर्मचारियों पर करी बड़ी कार्यवाही बाकी सब पर मेहरबान एक कर्मचारी ने जांच अधिकारी पर लगाया जबरदस्ती निकालने का आरोप।




विपिन सागर (रिपोर्टर)

छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में जुए के मामले को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। किसी पर बड़ी कार्यवाही कर दी तो किसी पर विश्वविद्यालय के जांच अधिकारी ने अपनी महिमा बरकार बनाये रखी है। 2 नबम्बर धनतेरस की रात विश्वविद्यालय में लगभग आधा दर्जन से अधिक लोग जुआ खेल रहे थे। जिसमे कुछ लोग विश्वविद्यालय परिसर के बाहर के जुआरी शामिल थे। इसकी जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को नही थी। मुखबिर की सूचना पर चौकी प्रभारी इंदु यादव ने छापा मारा जिसमे लगभग आधा दर्जन से अधिक लोगो में से केवल 2 लोग ही हाथ लगे। बाकी लोग पुलिस को चकमा देकर भागने में कामयाब हुए।
चौकी प्रभारी ने इस बात की सूचना जब विश्वविद्यालय प्रशासन को दी तो प्रशासन ने अपनी नाक बचाने के लिए पकड़े गए लोगो पर न कार्यवाही करने की बात कर एक गलती नामा लिखवा कर छुड़वा दिया साथ ही विभागीय कार्यवाही की बात भी कही। इस मामले में केवल दो लोगो पर कार्यवाही कर दी जबकि एक प्राईवेट कर्मचारी यह कहता रहा साहब में तो ड्यूटी खत्म कर अभी लोटा हू रिकोर्ट देख लीजिये लेकिन जांच अधिकारी ने एक नही सुनी।

जुआ खेलने वालों में विश्वविद्यालय के कुलपति का कुक भी शामिल था जिसको निकाल दिया और वहीं कुलपति आवास में साफ सफाई करने वाले कन्हिया पर क्यो मेहरवान है जांच अधिकारी 

बात करें एक बड़ा जुआरी कैलाश थापा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी शामिल था। लेकिन थापा पर कोई ठोस कार्यवाही नही की गई जबकि पिछली बार दीवाली पर भी थापा जुआ खेलते पकड़ा गया था उसके बाबजूद भी उस पर जांच अधिकारी मेहरवान कहीं ऐसा तो नही मामला सब सेट कर लिया हो। इसके साथ विश्वविद्यालय में बैंक में तैनात प्राइवेट कर्मचारी भी शामिल था। इतना ही नही बाहर से भी कुछ लोग जुआ खेलने आये थे उनकी भनक तक विश्वविद्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं थी कहीं ऐसा तो नहीं यह जुआ पहले भी चलता रहा हो बाहरी आदमी कैसे देर रात अंदर गया क्या सुरक्षा कर्मियों को इसकी जानकारी नही।

हर दिवाली पर पकड़ा जाता है विश्वविद्यालय में जुआ
सूत्र बताते है पिछली बार पुलिस के द्वारा पकड़े गए जुआ में महज 1500 रुपये प्रति जुआरी लेकर छोड़ा था। तब भी विश्वविद्यालय ने कोई कार्यवाही नही की जिसमे विश्वविद्यालय का कैलाश थापा भी शामिल था।


जांच अधिकारी ने जुआरियों को बचाने के लिए कहीं कर तो नहीं दी किसी निर्दोष कर्मचारी पर कार्यवाही
सूत्रों ने बताया है की एक प्राइवेट कर्मचारी अपनी ड्यूटी खत्म कर ओल्ड गेस्ट हाउस से 10:20 पर निकला था और रास्ते मे कर्मचारी घर भी नही पहुंचा पुलिस 10:25 पर ही पुलिस ने पकड़ लिया पुलिस और विश्वविद्यालय ने सबसे बड़ा दोषी उसी को मान लिया। जबकि 15 वर्षो में आज तक उस कर्मचारी की जुए की शिकायत नही आई लेकिन उसके बाबजूद भी जांच अधिकारी ने एक न सुनी और कलम चला दी कही ऐसा तो नही जांच अधिकारी का कुछ पर्सनल मामला हो यह भी जांच का विषय है। 

इसी मामले को लेकर द हिंदी न्यूज़ करेगा एक और बड़ा खुलासा।

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