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सनसनीखेज:- कानपुर विश्वविद्यालय में कौन कर रहा है लाखों रुपये लेकर फर्जीवाड़े का काम विश्वविद्यालय में इस माध्यम से किया जा रहा है फर्जीवाड़ा


विपिन सागर (मुख्य संपादक)

कानपुर- शिक्षा के लिए शुर्खियो में रहने वाली विश्वविद्यालय अब नए नए कारनामो में सामने आ रही है। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में, लगातार फर्जीवाड़े के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। कभी डिग्रियों के मामले आ जाते हैं, तो कभी फर्जी मार्कशीट का मामला सामने आता है। ऐसा ही एक नया मामला सामने आया है।
फर्जी मार्कशीट

 जिसको सुन आप भी भौचक्के रह जायेंगें। कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक जहां पूरे सिस्टम को ऑनलाइन करने की जादोहड़ में लगे हैं। बहीं अब ऑनलाइन के माध्यम से ही एक बड़ा फर्जीवाड़ा हो गया।
फर्जी मार्कशीट

 विश्वविद्यालय ने अपनी Email-csjmu@kanpuruniversity.org से एक फर्जी मार्कशीट को मेल के माध्यम से असली बताकर वेरीफाइड कर दिया। इतना ही नहीं मार्कशीट पर मोहर और हॉलमार्क भी लगा हुआ है। जो मोहर लगी है वह सहायक रजिस्ट्रार की है। उसके ऊपर हस्ताक्षर पूर्व रजिस्ट्रार वीके पांडे के हैं। 
फर्जी मार्कशीट

जोकि सूत्रों की माने तो सन 2001 के आसपास विश्विद्यालय में कार्यरत थे।
इतना ही नही ऑनलाइन वेरिफिकेशन में पूर्व सहायक कुलसचिव अरविंद वर्मा का नाम पड़ा हुआ है। जोकि 2020 में ही सेवानिवृत्त हुए हैं। मार्कसीट कानपुर के डी ए वी कॉलेज के नाम से बनी हुई हैं। इस मार्कसीट का वेरिफिकेशन विश्वविद्यालय से 13 दिसंबर 2021 को दोपहर 1:47 पर किया गया है। हालांकि सूत्र बताते है यह मेल विश्वविद्यालय के सिस्टर मैनेजर सरोज द्विवेदी चलाते हैं। एक विशेष सूत्र ने यह भी बताया हैं कि इस तरह के मामले में लगभग 2 लाख रुपये तक ले लिया जाता है। हालांकि द हिंदी न्यूज इसकी पुष्टि नही करता है।
विश्वविद्यालय की मेल

बड़ी बात
. इतने बड़े मामले में विश्वविद्यालय का कौन अधिकारी कर्मचारी हो सकता है उसकी गहनता से जांच होनी चाहिए।

. अगर यह मेल सिस्टम मैनेजर सरोज द्विवेदी के पास थी तो दोपहर के समय 13 दिसंबर 2021 किसने मेल की

. इन फर्जी मार्कशीटों को कहां से बनाया जाता है।

. कहीं ऐसा तो नही ऑनलाइन के माध्यम से बढ़ न जाये और फर्जीवाडा

फर्जीवाड़ा के खेल में कोई है विश्वविद्यालय का पुराना खिलाड़ी

इस फर्जीवाड़े के खेल में कोई तो पुराना खिलाड़ी जुड़ा है जिसको पूर्व रजिस्ट्रार और सहायक कुल सचिव का नाम भी पता है और दस्तख़त भी करने आते है कहीं ऐसा न हो अगर पूरे मामले की जांच हुई तो विश्विद्यालय के कर्मचारी और अधिकारी ही रडार पर न आ जाएं

कानपुर विश्वविद्यालय का एक और बड़ा खुलासा करेगा द हिंदी न्यूज 

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