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कानपुर विश्वविद्यालय में नियुक्तियों में बड़ा खेल एक शिक्षक की मोहब्बत में काट दिया सुप्रीमकोर्ट का आदेश पात्र न होने के बाबजूद भी बना दिया असिस्टेंट प्रोफेसर विश्वविद्यालय में चर्चा बना है भर्तियों का भ्रष्टाचार। आखिर कब पड़ेंगी राज्यपाल और मुख्यमंत्री की निगाह घोटालेबाजों पर


विश्वविद्यालय के घोटाले का खबरीलाल

कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में घोटाले का मामला लगातार चर्चाओं में बना हुआ है। ऐसा ही एक अजब-गजब का मामला सामने आया है।
कानपुर विश्वविद्यालय में अब भर्ती घोटाले की बातों की चर्चा जोरों पर है। विश्वविद्यालय में चर्चा जरूर है, लेकिन घोटाले के खिलाफ बोलने को कोई तैयार नही हैं।

नियुक्ति विज्ञापन

2021 में कानपुर विश्वविद्यालय ने शिक्षक भर्ती विज्ञापन निकाले जोकि 5 - 5 वर्ष की नियुक्ति पर थे।
साथ ही यह भी दर्शाया गया कि सभी नियुक्तिया पार दर्शी और यूजीसी नियम के तहत ही होंगी। लेकिन नियुक्तियों के बाद घोटाले का मामला जोर पकड़ता ही जा रहा है। 

विज्ञापन में नियमावली 

कानपुर विश्वविद्यालय में एक एडॉप् शिक्षक की मोहब्बत में मिटा दिया सुप्रीम कोर्ट का आदेश कर दी नियुक्ति जानिए पूरा खेल।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की डेट


कानपुर विश्वविद्यालय में फार्मेसी विभाग में लगभग 9 वर्षो से एडॉप् पर तैनात शिक्षक डॉ अजय यादव जोकि पढ़ाते कम और ठेकेदारी और अन्य जिम्वेदारी में ज्यादा दिखते हैं।  विश्वविद्यालय ने 2021 निकाली नियुक्ति में 5 वर्ष के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त कर दिया। AICTE की नियमावलियों तहत डॉ अजय यादव को नियुक्त किया गया। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में आदेश करते हुए फार्मेसी विभाग को AICTE से हटा कर, साथ ही सभी नियमावली को निरस्त करते हुए फार्मेसी की सभी नई नियमावली PCI को दे दी गई। जबकि PCI की नियमावली कहती है, अगर किसी संस्थान में किसी फ़ार्मेसी शिक्षक को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया जाएगा। तो अभियार्थी को बैचलर और मास्टर डिग्री में प्रथम स्थान होना जरूरी है। लेकिन डॉ अजय यादव की मोहब्बत में सारी नियमावलीयों को ताक पर रख दिया और सुप्रीमकोर्ट के आदेश को करकीनार कर गलत तरीके से नियुक्त कर दिया, हालांकि द हिंदी न्यूज इसकी पुष्टि भी नही कर है। लेकिन आदेश और दस्तावेज जरूर दावे के साथ प्रेषित कर रहा है। 

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

बड़ा सबाल यह भी है।

अगर कानपुर विश्वविद्यालय ने सुप्रीमकोर्ट को दरकिनार कर दिया तो समझिए भ्रस्टाचार किस तरह पनप रहा है। हालांकि विश्वविद्यालय में यह भी चर्चा है डॉ अजय यादव कोई भी कुलपति आएं सबके खास हो जाते हैं। कोई कहता है ये विश्वविद्यालय के कमाऊ पूत हैं। जिसकी बजह से भ्रष्टाचार अधिकारी तुरंत डॉ अजय यादव से तालमेल मिला लेते हैं। 
सूत्र यह भी बता रहे हैं कि डॉ अजय यादव की कोई लाखो रुपये की घोटाले की जांच चल रही है, लेकिन सिस्टम के चलते फाइल बन्द पड़ी है। हालांकि इसकी हम पुस्टि नही करते हैं। साथ ही सूत्र यह भी कहते हैं। अगर डॉ अजय यादव की संपत्ति की जांच कराई जाए तो शायद बड़ा खुलासा हो।

डॉ अजय यादव की बैचलर की सेकंड डिवीजन मार्कसीट

द हिंदी न्यूज जल्द करेगा एक और फर्जी भर्ती का खुलासा सभी अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी लेकिन मिल गई विश्वविद्यालय ।के नियुक्ति सबको पता लेकिन बोले कौन। साथ ही डॉ अजय यादव का एक और बड़ा कारनामा

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