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कानपुर विश्वविद्यालय में नियमों को ताक पर रखकर फाइनेंस ऑफिसर जमकर कर रहे हैं धन वर्षा। जबकि महज कुछ ही दिन बचे हैं फाइनेंस ऑफिसर की सेवानिवृत्ति के। ताक पर रख दिए हैं सारे नियम


विपिन सागर (मुख्य संपादक)

कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में, धनवर्षा रुकने का नाम नहीं ले रही है। विश्वविद्यालय के धन का भुगतान फाइनेंस ऑफिसर के द्वारा जून, जुलाई की वर्षा की तरह किया जा रहा है। हाल ही में एक नया मामला फिर सामने आया है, केंद्रीय मूल्यांकन का पैसा नियमों को ताक पर रखकर बांटा गया है। जिसकी चर्चा विश्वविद्यालय के कोने कोने में फैली हुई है। सूत्रों की माने तो विश्वविद्यालय के अधिकारियों के चहेते कर्मचारियों को 130 दिन का भुगतान दिया गया है। साथ ही जिन कर्मचारियों ने अधिकारियों के सामने माथा नहीं टेका उन कर्मचारियों का महज 70 दिनों का भुगतान ही किया गया। जबकि विशेषज्ञ बताते हैं यह भुगतान पद और रेगुलर और सेल्फ फाइनेंस के लिए अलग-अलग मानकों पर होता है जिनमें सेल्फ फाइनेंस कर्मचारियों का भुगतान कम और रेगुलर कर्मचारियों का भुगतान ज्यादा होता है, लेकिन अधिकारियों के आशीर्वाद से और फाइनेंस ऑफिसर की मेहरबानी से सेल्फ फाइनेंस कर्मचारियों को भी 130 दिन का भुगतान कर दिया। सूत्र यह भी बताते हैं कि कुछ कर्मचारियों को भुगतान ज्यादा देकर उनसे 12000 अधिकतम की रिकवरी तक एक बड़े अधिकारी द्वारा करवाई जा रही है, और यह भी साथ में कहा जा रहा है की आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को इन पैसों को बांटा जाएगा। कानपुर विश्वविद्यालय के फाइनेंसर ऑफिसर कुछ ही समय बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं उससे पहले ही इसी तरह की धन वर्षा कर कर दूसरों के साथ साथ अपना भी भला कर रहे हों।

एक और महत्वपूर्ण बात
केंद्रीय मूल्यांकन का भुगतान पहले 190 दिन का देने की बात हुई थी। उसके बाद धीरे-धीरे प्रस्ताव ऊपर नीचे होता गया। आखिर में 90 दिन पर आ गया लेकिन कुछ कर्मचारियों को विश्वविद्यालय के जिम्मेदार अधिकारी और फाइनेंस ऑफिसर के आशीर्वाद से 130 दिन का वेतन दे दिया। जबकि नियमावली कहती है, यह निर्णय कार्य परिषद एवं वित्त समिति द्वारा पास करने के बाद ही पैसा दिया जाएगा लेकिन सूत्र बताते हैं। एक बड़े अधिकारी ने यह कह दिया कि वह सब अपने हाथ में हैं पैसा बांट दिया जाए कार्य परिषद एवं वित्त समिति बाद में बैठाकर पास करा लिया जाएगा।


बड़ी बात
"कानपुर विश्वविद्यालय में दागियों को भी मिला इनाम,"

कानपुर विश्वविद्यालय में दो ऐसे कर्मचारी हैं जिन्हें पूर्व कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने पद से हटाकर जांच बैठाई थी। लेकिन विश्वविद्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों के आशीर्वाद से ना तो आज तक जांच पूरी हुई है। और ना ही कोई कार्यवाही, उसके बावजूद भी दोनों कर्मचारियों को विशेष आशीर्वाद देते हुए फाइनेंसर ऑफिसर ने 39000 - 39000 हजार रुपए का पुरस्कार भी दे दिया। आखिर इस विश्वविद्यालय में धन की इतनी वर्षा की जा रही है। क्या उतर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को इसकी भनक तक नहीं है। या फिर उत्तर प्रदेश सरकार जानकर भी अनजान है। जबकि दिनप्रति दिन छात्रों की जेब पर इसका बोझ बढ़ता ही जा रहा है। सूत्रों की माने तो कानपुर विश्वविद्यालय ने एक दागी असिस्टेंट प्रोफेसर को एसोसिएट प्रोफेसर बनाकर पदोन्नति के साथ-साथ वेतन भी बढ़ा दिया।

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