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सीएसए विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉक्टर डी आर सिंह ने फिर बढ़ाया विश्वविद्यालय का मान, एनआईआरएफ रैंक में देशभर में, दिलाया यह स्थान। देश भर के कृषि विश्वविद्यालयों को दी मात।


विपिन सागर (मुख्य संपादक)

कानपुर/चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के पूर्व एवम कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर बिहार के मौजूदा कुलपति डॉक्टर डी० आर० सिंह ने एक बार फिर कानपुर का मान बड़ा दिया। इस वर्ष NIRF (नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क) रैंकिंग 2023 में देश की कृषि विश्वविद्यालय में प्रथम एवं देश की सभी विश्वविद्यालयों में 30वी रैंक दिलाकर चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का नाम रोशन कर दिया। हालांकि हाल ही में नेक ग्रेड पाने वाली देश की पहली कृषि विश्वविद्यालय भी कुलपति डॉ डी आर के कार्यकाल के समय ही बनी हैं। एनआईआरएफ की रैंकिंग के लिए शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार ने 2022 में सभी पैरामीटर पर सी एस ए विश्वविद्यालय का मूल्यांकन किया था। जिसका परिणाम अब घोषित हुआ है। जिसमें सीएसए विश्वविद्यालय ने एग्रीकल्चर में पहला और अन्य देश की सभी विश्विद्यालय को मिलाकर 30 वा स्थान हासिल किया हैं।

क्या है एनआईआरएफ का फुल फॉर्म है

नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क. हर साल केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा यह रैंकिंग जारी की जाती है. इसमें भारत के शीर्ष विश्वविद्यालयों, कॉलेजों की लिस्ट जारी की जाती है. यह लिस्ट अलग-अलग कैटेगरी और सब्जेक्ट्स के आधार पर भी विभाजित होती है. जैसे- इंजीनियरिंग, मेडिकल, फार्मेसी, लॉ, मैनेजमेंट. एग्रीकल्चर, एनआईआरएफ रैंकिंग की शुरुआत 2015 में हुई थी. देश में पहली बार यह रैंकिंग 29 सितंबर 2015 को लॉन्च की गई थी. इस साल एनआईआरएफ का 8वां संस्करण है.

अब सवाल आता है कि एनआईआरएफ रैंकिंग कैसे होती है?

 Education Ministry यह कैसे तय करता है कि किस संस्थान को कौन सा स्थान देना है? समझिए पूरी प्रक्रिया-

संस्थान खुद एनआईआरएफ रैंकिंग के लिए शिक्षा मंत्रालय के पास अप्लाई करते हैं. समय के साथ यह संख्या बढ़ती गई है. पिछले साल देशभर से कुल 6,272 यूनिवर्सिटी, कॉलेज व इंस्टीट्यूट्स ने इस रैंकिंग के लिए अप्लाई किया था. जिनमें ओवरऑल कैटेगरी के लिए 1,657 संस्थान, इंजीनियरिंग के लिए 1143, मैनेजमेंट के लिए 659, फार्मेसी के लिए 351, लॉ के लिए 120, मेडिकल के लिए 111, आर्किटेक्चर के लइए 78 और जेनरल डिग्री कॉलेज की श्रेणी में 1802 आवेदन आए थे.

जो संस्थान आवेदन करते हैं, उन्हें शिक्षा मंत्रालय की टीम द्वारा कुल 5 मुख्य पैरामीटर्स और 16 सब-पैरामीटर्स पर परखा जाता है. अलग-अलग टीम हर संस्थान में जाकर विजिट करती है और तय मानकों के आधार पर उनका मूल्यांकन करती है. इसके बाद उस संस्थान को स्कोर दिया जाता है. इस स्कोर के आधार पर ही रैंकिंग निर्धारित होती है. जानिए वो पैरामीटर क्या-क्या हैं?...टीचिंग, लर्निंग और रिसोर्स (TLR)- इसके अंतर्गत 4 सब पैरामीटर होते हैं. 

पहला – स्टूडेंट्स की संख्या जिसमें पीएचडी वाले स्टूडेंट भी शामिल होते हैं. 

दूसरा – फैकल्टी और स्टूडेंट्स की संख्या का अनुपात, जिसमें परमानेंट फैकल्टी पर जोर होता है. 

तीसरा – पीएचडी और अनुभव वाले शिक्षक. 

चौथा – आर्थिक रिसोर्स क्या, कितना है और उनका उपयोग किस तरह किया जा रहा है....रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस (RP)- इसमें भी चार सब-पैरामीटर्स आते हैं. 

पहला – कितने जर्नल या शोध प्रकाशित हुए. 

दूसरा – उन प्रकाशित रिसर्च वर्क की गुणवत्ता कैसी है. 

तीसरा – कितने IPR और पेटेंट हुए हैं- कितने प्रकाशित हुए और कितने ग्रांट हुए. 

चौथा – प्रोफेशनल प्रैक्टिस और प्रोजेक्ट्स के फुटप्रिंट्स.

ग्रेजुएशन आउटकम (GO)- इसके तहत दो सब-पैरामीटर्स पर मूल्यांकन किया जाता है. 

पहला – यूनिवर्सिटी एग्जाम्स. दूसरा – संस्थान से पास होने वाले पीएचडी स्टूडेंट्स की संख्या.
आउटरीच और इन्क्लूसिविटी (OI)- इसके अतंर्गत 5 सब-पैरामीटर हैं.

पहला – दूसरे राज्यों और देशों से आने वाले स्टूडेंट्स की संख्या/ प्रतिशत. 

दूसरा – संस्थान में महिलाओं/ छात्राओं की संख्या. 

तीसरा – आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े विद्यार्थियों की संख्या. 

चौथा – दिव्यांग स्टूडेंट्स के लिए संस्थान में उपबल्ध सुविधाएं. पांचवां – संस्थान के बारे में स्टूडेंट्स और अन्य स्टेकहोल्डर्स के बीच राय/ अवधारणा.

पीयर परसेप्शन- इसमें सिर्फ शैक्षणिक सहयोगियों और नियोक्ताओं के बीच संस्थान को लेकर विचार या अवधारणा की जांच की जाती है.

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