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एक ही मंदिर में मातारानी की 900 मूर्तियां अनेको रूप में देख कर आप हो जाएंगे हैरान एक बार आप भी जरूर करें इस मंदिर के दर्शन


मान्यता है कि मां वैष्णों के दरबार पर जो भक्त हाजिरी लगाता है तो उसकी मन्नत मां की कृपा से पूरी हो जाती हैं।

कानपुर. अगर आप आर्थिक स्थित ठीक न होने के चलते जम्मू में विराजी मां वैष्णों के दर्शन करने से वंचित हैं तो कानपुर आइए। यहां के दामोदर नगर स्थित जम्मू की तर्ज पर गुफा वाला माता वैष्णों का मंदिर बनाया गया है। छोटी-छोटी और अंधेरी गुफा से होकर जाने के बाद ही माता के दर्शन होते हैं। मान्यता है कि मां वैष्णों के दरबार पर जो भक्त हाजिरी लगाता है तो उसकी मन्नत मां की कृपा से पूरी हो जाती हैं। मंदिर के पुजारी छुन्ना भाई ने बताया मंदिर को जयदेव सिंह राणा बुलंदशहर वालों ने बनवाया था। मंदिर में करीब 900 भगवान की मूर्तियां स्थापित हैं। पूरे वर्ल्ड में सिर्फ एक हजारहाथ वाली माता महिसासुर मर्दानी की मूर्ति भी इस मंदिर में विराजमान है। दुर्गा सप्तसती में इसका वर्णन भी किया गया है। भक्त को मां की मूर्ति तक पहुंचे में करीब एक घंटे का समय लगता है।

मां ने सपने में आकर दिए थे दर्शन
 
मंदिर के पुजारी ने बताया कि राजा जयदेव सिंह राणा मां वैष्णों के भक्त थे। वह जम्मू-कश्मीर स्थित मां के दरबार में हर साल जाते और पूजा-अर्चना किया करते थे। मां उनके तप से प्रसन्न हो गई और सपने में माता ने दर्शन दिए थे। पुजारी के मुताबिक मां ने जयदेव सिंह से कानपुर के लोगों के लिए एक भव्य मंदिर बनवाने के लिए कहा था। जिस पर जयदेव सिंह ने हूबहू जम्मू की तर्ज पर मां वैष्णों के मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर में बनी गुफाएं आकर्षण का केंद्र हैं। टेड़े-मेड़े रास्ते हैं और सकरी सड़क के जरिए मां के दर्शन के लिए भक्तों को जाना पड़ता है। मां की मूर्ति तक पहुंचने में करीब एक घंटे का समय लगता है।
 
 
900 मूर्तियां मंदिर में विराजी
 
कानपुर के मां वैष्णों के मंदिर पर करीब 900 भगवान की मूर्तियां स्थापित है। हर मूर्ति का अपना अलग है इतिहास है। पुजारी ने बताया कि जयदेव सिंह ने भक्तों की आस्था के अनुरूप् मंदिर में हर देवता का मूर्ति स्थापित करवाई। मंदिर के पुजारी ने बताया कि कानपुर के साथ ही अन्य राज्यों से भक्त यहां पर आते हैं। नवरात्र और दीपावली के दिन यहां पर भव्य मेले का आयोजन होता है। यह मंदिर बिलकुल जम्मू कश्मीर जैसा बनाया गया है। गुफाओं के अंदर से चलकर जाने में इसका अलग ही आंनद है। बताया, जब भी हम कानपुर आते हैं तो मातारानी के दर पर आकर माथा जरूर टेकते हैं। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि माता के इस मंदिर और जम्मू वाली वैष्णों देवी के मंदिर में कोई अंतर नहीं है।

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