विक्रम संवत 2078 प्रतिपदा दिन बृहस्पतिवार शारदीय नवरात्र व्रत का प्रथम दिन है। शारदीय नवरात्र की प्रथम आराध्य देवी माता शैलपुत्री है, माता का यह रूप अनेकों नामों से प्रसिद्ध हैं। सती, पार्वती, दुर्गा,उमा, अर्पणा, गौरी, महेश्वरी शिवांगी, शुभांगी, पर्वतवासिनी, पूर्व जन्म में इनके पिता राजा दक्ष थे। राजा दक्ष ने प्रजेश होने पर यज्ञ किया। परंतु दामाद शिव को निमंत्रण नहीं किया सती भगवान शंकर की स्वीकृति के बिना ही पिता के या चली गई। यज्ञ स्थल पर अपने तिरस्कार एवं शिव का अपमान देखकर कुपित यदि यज्ञाग्नि में कूद पड़ी उधर शिव की समाधि भंग हुई तो उन्होंने वीरभद्र नामक गण को यज्ञ स्थल पर भेजा वीरभद्र ने यज्ञ शाला का विध्वसन किया और सती के जलते शरीर को लेकर चल पड़ा धरती पर सती के अंग जिस जिस स्थान पर गिरे वहां शक्ति पीठ स्थापित हो गईं। सती का अगला जन्म सेल राज की पुत्री पार्वती के रूप में हुआ और घोर तपस्या के कर उनका वर्णन किया पर्वतराज की पुत्री होने के माता के इनका प्रथम रूप का नाम शैलपुत्री पड़ा।
यह है शैलपुत्री देवी मां का मंत्र जाप
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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