कानपुर की ट्रैफिक पुलिस के अजीबो-गरीब मामले, कार खरीदने से पहले ही कर दिया हैलमेट पर चालान हाईटेक के चक्कर मे क्या क्या कर बैठे साहब, क्या बोले जिम्मेदार आप भी देखें
विपिन सागर (मुख्य संपादक)
कानपुर यातायात पुलिस के अक्सर अजब गजब कारनामे सामने आते रहते हैं। लेकिन अधिकारी हमेशा अपनी पुलिस को सही और जनता को गलत बताते हैं। इस बार एक नही दो ऐसे ही मामले सामने आए हैं। जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे। पूरा मामला ये है कि यशोदा नगर निवासी राकेश मिश्रा की कार का चालान बिना हेलमेट में किया गया है। वहीं दूसरी कार का माडल 2019 है और चालान पचास साल पहले 1970 में किया जा चुका है। जब पुलिस को हाईटेक बनाने के लिए इतने कार्य किए जा रहे हैं। तो फिर बार बार क्यो सही जनता को परेशान करना होता है।
पहला मामला ये है।
एन-244 में रहने वाले राकेश मिश्रा के मुताबिक, उनके पास यूपी 78/एफवाई/5083 महिंद्रा एक्सयूवी-300 कार है। कुछ दिन पहले कार का चालान हुआ तो जुर्माना जमा करने के लिए वकील के पास पहुंचे। वकील ने ई-चालान की वेबसाइट पर पता किया तो सामने आया कि उनकी कार का 17 जुलाई 2021 में एक और चालान हो चुका है। मजेदार बात यह है कि उनकी एक्सयूवी के नंबर पर बिना हेलमेट स्कूटी चलाने का एक हजार रुपये का चालान किया गया था। लापरवाही का आलम यह है कि चालान में रजिस्ट्रेशन के कालम में बाकायदा कार के रजिस्ट्रेशन का उल्लेख है। इसके बावजूद, चालान कापी में स्कूटी पर बिना हेलमेट के यात्रा की फोटो चस्पा की गई है।
दूसरा मामला और दिलचस्प है।
इससे पहले यातायात पुलिस की एक और लापरवाही सामने आ चुकी है
जिसमें 2019 माडल वाली कार का चालान 1970 में होना दिखाया गया है। सिविल लाइंस निवासी मनीष तिवारी की कार के चालान की तारीख 1 जनवरी 1970 दर्ज कर दी गई। मनीष ने बताया कि बीती 29 अप्रैल को उनकी कार यूपी-71/एके/8214 का 500 रुपये के चालान का मैसेज आया। जब उन्होंने यातयात पुलिस की वेबसाइट पर चेक किया तो पता चला कि वर्ष 1970 में भी 500 और 300 रुपये का चालान हो चुका है। बीती पांच मई को फिर से 1500 रुपये के चालान का मैसेज आ गया। दो माह में चार चालान होने से अब मनीष परेशान हैं और चालान खत्म कराने के लिए दौड़ रहे हैं।
क्या कहा जिम्मेदारों ने
बीबीजीटीएस मूर्ति, डीसीपी ट्रैफिक
यह मानवीय भूल है, एक शब्द इधर से उधर हो गया होगा। पीड़ित शिकायत लेकर आता है तो चालान निरस्त किया जाएगा।
साहब इतना रुपया खर्च होता है सिस्टम पर फिर कैसी भूल क्या इसका जिम्मेदार कोई नही।
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