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छोटे व सीमांत किसानों के लिए प्राकृतिक खेती विशेष लाभकारी:-डॉ खलील खान


विपिन सागर (मुख्य संपादक)

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉक्टर डीआर सिंह के निर्देश के क्रम में आज विश्वविद्यालय की टीम एवं कामधेनु संवर्धन एवं अनुसंधान झांसी द्वारा संयुक्त रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र के जनपद जालौन में आज मुसमरिया, मडोरी एवं हथना आदि गांवों में प्राकृतिक खेती के लिए किसानों में जन जागरूकता अभियान चलाया गया।

 इस अवसर पर विश्वविद्यालय के मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान ने बताया कि मिट्टी स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक खेती आशा की नई किरण है। उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि पारंपरिक ज्ञान के आधार पर स्थानीय संसाधनों जैसे गोबर, गोमूत्र आदि की सहायता से न केवल कृषि लागत को कम किया जा सकता है। 


बल्कि भूमि की जैविक संरचना को बचाया भी जा सकता है। उन्होंने कहा की मिट्टी के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है उसे पुनः स्वस्थ बनाने के लिए आज की आवश्यकता है। रासायनिक उर्वरक व कीटनाशकों के अधिक प्रयोग से मिट्टी विषाक्त हो रही  है। इस अवसर पर झांसी की श्याम बिहारी गुप्ता ने किसानों को जीवामृत, वीजाअमृत, नीमास्त्र तथा घन जीवामृत बनाने की विधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि गौ आधारित प्राकृतिक खेती किसी वरदान से कम नहीं है। इस अवसर पर ग्राम मडोरी बके प्रगतिशील किसान अशोक सिंह सेंगर ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में किसान उपस्थित रहे।

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