कानपुर विश्वविद्यालय ने डॉ अजय यादव की नियुक्ति प साधी चुप्पी। कब विश्विद्यालय चलाएगा चेहते शिक्षक पर चाबुक। आखिर सिस्टम के तहत कैसे कर दी नियुक्ति। शिक्षा के मंदिर में आखिर क्यों बड़ रहे हैं घोटाले। क्या राज भवन और मुख्यमंत्री कार्यालय को नही हैं जानकारी।
कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में शिक्षक भर्ती प्रकरण में विश्वविद्यालय के चेहते शिक्षक डॉक्टर अजय यादव जो कि नियम के विरुद्ध जाकर विश्वविद्यालय में 5 वर्ष के लिए नियुक्त दी गई है।
जबकि पीसीआई के नियम कुछ और ही कहते हैं। लेकिन भ्रष्टाचार के आगे सब कुछ नतमस्तक है। हालांकि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अजय यादव की भर्ती को लेकर चुप्पी साध रखी है। लेकिन सच्चाई सामने हैं, विश्वविद्यालय ने सभी नियमों को ताक पर रख कर डॉ अजय यादव को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कैसे नियुक्त कर दिया। कहीं ऐसा तो नहीं डॉ अजय यादव ने विश्वविद्यालय के सभी सिस्टम सेट कर रखे हों जिसकी बजह से कार्यवाही होने का नाम नही ले रही।
आइए समझाते पीसीआई के कुछ नियम
2020 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए फार्मेसी विभाग को एआईसीटीई से पीसीआई के अधिकृत कर सारे नियमों को पीसीआई के तहत पालन कराने के आदेश पारित किए थे। जिसमें यह स्पष्ट था जो पीसीआई के नियम है उन्हीं के आधार पर विश्वविद्यालय, इंस्टिट्यूट और भी शिक्षा संस्थानों में कार्य कर रहे शिक्षकों को उसी पद पर रखा जा सकता लेकिन नियम व शर्तों के साथ। साथ मे यह भी निर्देश दिया है। कि प्रमोशन की जगह नियुक्ति दी जाएगी। साथ ही ऐसे अभ्यार्थी की रेगुलर कार्य की एक समय अवधि निर्धारित की जिसके आधार पर उनको नियुक्त किया जा सकेगा। लेकिन कानपुर विश्वविद्यालय ने इन सभी नियमों को ताक पर रख दिया, और डॉ अजय यादव को नियुक्ति देदी। सूत्र कह रहे हैं। मोटी रकम के साथ डॉ अजय यादव को दीगई है। लेकिन दा हिंदी न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता है और ना ही दावा करता है।
हालांकि इस पूरे मामले में मुख्य संपादक ने उच्च शिक्षा सचिव से बात करने की कोशिश की लेकिन कहीं व्यस्त होने की बजह से बात नही हो सकी ।
इसी खबर से संबंधित फिर करेंगे आगे और खुलासा
कैसे किया पूरा खेल विश्वविद्यालय ने
पढ़ते रहिए दा हिंदी न्यूज़ शिक्षा विभाग की किसी भी विश्वविद्यालय और संस्थान से संबंधित घोटाले की अनियमितताओं की खबरों को साक्ष्य के साथ हमारी ईमेल आईडी Sagarsingh137@gmail.com पर भेजिए आपकी पहचान को हमारे संस्थान द्वारा हमेशा के लिए गोपनीय रखी जाएगी। पढ़ते रहिए दा हिंदी न्यूज़
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