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इस विश्वविद्यालय की सेवानिवृत्त जज करेंगे नियुक्तियों की जांच। हाल ही में कुलपति से छीना है पद, रजिस्टार को अभी भी राहत। सगे संबंधियों को नियुक्त करने का है आरोप।

विपिन सागर (मुख्य संपादक)

उत्तर प्रदेश: अयोध्या डा.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर रविशंकर सिंह के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों पर संकट के बादल छा गए हैं। इन नियुक्तियों की जांच अब उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे। 
गुरुवार को हुई कार्य परिषद की बैठक में सदस्यों ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए कुलपति को अधिकृत कर दिया गया। पूर्व कुलपति के कार्यकाल में अलग-अलग विभागों में नौ शिक्षकों की नियमित नियुक्ति की गई थी। कुलपति पर सगे संबंधियों को नियुक्ति देने तथा आरक्षण के रोस्टर में गड़बड़ी करने जैसे गंभीर आरोप हैं। प्रभारी कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह ने कार्य परिषद की आपात बैठक बुलाई थी। सदस्यों को राजभवन के अपर मुख्य सचिव के पत्र को पढ़ कर सुनाया गया। पत्र के बिंदुओं पर चर्चा हुई। बाद में यह तय किया गया कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज इसकी जांच करेंगे। इसके पहले राजभवन के अधिकारियों ने भी मामले की जांच की थी और इसी के बाद तत्कालीन कुलपति को हटा दिया गया। जांच के दौरान तत्कालीन कुलपति, कुलसचिव उमानाथ सहित आरक्षण का रोस्टर निर्धारण करने वाले सदस्यों को राजभवन बुला कर मामले की पड़ताल की गई थी। 

बड़ा सवाल

इस बीच कुलसचिव पर न तो कोई कार्यवाही हुई और न ही उन्हें शासन ने हटाया, जिसकी चर्चा प्रदेश भर में गर्म है। बैठक में उपस्थित रहे कार्य परिषद के सदस्य ने बताया कि एकल जांच कमेटी गठित है। रिपोर्ट के बाद नियुक्तियों पर निर्णय लिया जाएगा। मीडिया प्रभारी डा. विजयेंदु चतुर्वेदी ने बैठक में लिए गये निर्णय के प्रति अनभिज्ञता व्यक्त की है।

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