फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों को ताक पर रखकर। कानपुर विश्वविद्यालय ने बैचलर डिग्री में द्वितीय श्रेणी पाने वाले को बना दिया असिस्टेंट प्रोफेसर। एक विश्वविद्यालय के बड़े अधिकारी के करीबी हैं डॉक्टर अजय यादव जबकि उनके ऊपर भी शासन में बैठा दी जांच
विपिन सागर (मुख्य संपादक)
कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में, डॉ अजय यादव की नियुक्ति पर विश्वविद्यालय प्रशासन पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारी जानते हैं, की डॉ अजय यादव को गलत तरीका से 5 वर्ष के लिए नियुक्त किया गया है। लेकिन सिस्टम के चलते सब शांत है।
पीसीआई के नियम को ताक पर रख कर दी नियुक्ति
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया कहती है। असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए बैचलर और मास्टर डिग्री दोनों में प्रथम श्रेणी होनी चाहिए। जो कि अजय यादव की नहीं है, साथ ही फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया यह भी कहती है। प्रथम श्रेणी में बी फार्मा उपाधि के साथ फार्मासिस्ट की विशेषता और एम फार्मा की के साथ पीएचडी उपाधि भी अनिवार्य है।
लेकिन कानपुर विश्वविद्यालय ने इन सभी नियमों को ताक पर रख दिया। द्वितीय श्रेणी में पास होने वाले डॉ अजय यादव को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त कर दिया।
अब एसोसिएट प्रोफेसर की तैयारी में डॉ अजय यादव
सूत्रों की माने तो डॉक्टर अजय यादव अब अपने एसोसिएट प्रोफेसर की तैयारी में लगे हुए हैं। जबकि असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति ही गलत है। उसके बावजूद भी एसोसिएट की तैयारी में लगे हुए है। आखिर किस की शह पर हो रहा है यह सब।
आखिर कौन हैं जो डॉक्टर अजय यादव को गलत तरीका से भी करा दे रहा है नियुक्त।
सूत्रों की माने तो डॉ अजय यादव के करीबी एक बड़े अधिकारी जो पूर्व में कानपुर विश्वविद्यालय में कार्यरत रहे हैं। और इस समय भी एक विश्वविद्यालय में बड़े पद पर कार्यरत हैं। जो इस पूरे मामले में अजय यादव के सहयोग में लगे हुए हैं। हालांकि आपको यह भी बता दें इन अधिकारी पर भी हाल ही में शासन द्वारा जांच बैठाई गई है। जिसमें 14 लोग शामिल हैं। एक बड़े फर्जीवाड़े का मामला उन पर लगा है। सूत्र यह भी बताते हैं मामला बिल्कुल सही है। जांच होने पर उनको भी जेल का रास्ता देखना पड़ सकता है
क्या कानपुर विश्वविद्यालय नहीं मानेगा किसी मानक को
डॉ अजय यादव की नियुक्ति से यह स्पष्ट होता है। कि कानपुर विश्वविद्यालय किसी भी नियम और कानून को मानने को तैयार नहीं है। चाहे फिर जैसा आदेश हो अगर अजय यादव की नियुक्ति ठीक है तो उसका एक स्पष्टीकरण क्यों नहीं कर दिया जाता।
क्या बोले डॉक्टर अजय यादव
डॉ अजय यादव स्वयं अपने में भ्रमित हैं, कि उनके दस्तावेज सही है या गलत उन्होंने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया को मेल के माध्यम से अपने दस्तावेजों की जांच के लिए अनुरोध किया है। जब स्वयं डॉ अजय यादव अपना स्पष्टीकरण नहीं कर पा रहे हैं, तो कानपुर विश्वविद्यालय ने किस आधार पर डॉ अजय यादव को असिस्टेंट प्रोफेसर बना दिया इतने बर्षो के लिए।
द हिंदी न्यूज़ ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया डिप्टी सेक्रेटरी अनिल मित्तल से बात की तो उन्होंने पूरे मामले की जांच करने की बात कही और जल्द कार्रवाई की बात कही है।
डॉ अजय यादव की पीएचडी पर भी उठ सकता है बड़ा सवाल। द हिंदी न्यूज करेगा जल्द एक बड़ा खुलासा साथ ही एक पीएचडी धारक और शामिल सरकारी खजाने को कैसे लगाई चपत।
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