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शिक्षा से सेवा, सेवा से समाज उत्थान के मंत्र के साथ सीएसजेएमयू का 37वां दीक्षांत समारोह संपन्न


 
- कुलाधिपति, राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में हुआ समारोह 
- आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानंद सरस्वती रहे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि
- सेवा उद्यान और अमृत सरोवर समेत 21 योजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास
- मेधावी छात्रों को कुलाधिपति ने दिए स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक
कानपुर।
शिक्षा से सेवा का संदेश देते हुए समाज उत्थान की दिशा में बेहतर कार्य करने की प्रेरणा लें। आपकी डिग्री तभी सार्थक है जब आप समाज के विकास के लिए काम करेंगे। आप यह संकल्प लें कि जीवन में कभी गलत नहीं करेंगे। आप अपना विकास करने का प्रयास करें, साथ ही दूसरों का भला भी करें। ऐसा कार्य करें, जो दूसरों के लिए अनुकरणीय हो सके। 
ये कहना है कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं सीएसजेएमयू की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल का। श्रीमती पटेल बुधवार को सीएसजेएमयू के नवनिर्मित प्रेक्षागृह में आयोजित हुए 37वें दीक्षांत समारोह में शिरकत कर रही थी। समारोह की अध्यक्षता करते हुए उन्होने छात्रों को जीवन में आगे बढ़ने का मंत्र दिया। उन्होने कहा कि जो मेडल नहीं हासिल कर सके वह भी निराश न हो। जीवन में हर दिन बेहतर करने का संकल्प लें। अधिक से अधिक श्रम करें और समाज के उत्थान के लिए कार्य करें। 
मां सरस्वती को माल्यार्पण करने के बाद दीक्षांत समारोह की शुरुआत विश्वविद्यालय के नवनिर्मित रानी लक्ष्मीबाई सभागार में जल भरो कार्यक्रम के साथ हुई। समारोह की अध्यक्षता आदरणीय कुलाधिपति महोदया श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने की। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि परमार्थ निकेतन हरिद्वार के अध्यक्ष, आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानंद सरस्वती शामिल हुए। मंच पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय और उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी, प्रति कुलपति प्रो सुधीर कुमार अवस्थी एवं कुलसचिव डॉ अनिल कुमार यादव भी मौजूद रहे। 
बेटियों की प्रशंसा की
कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत समारोह में बेटियों की सफलता के लिए उन्हें बधाई दी। उन्होनें कहा कि जिस प्रकार से लड़कियां मेडल लेने में सबसे आगे रहीं, इससे लड़कों को यह समझना होगा कि आखिर उनकी उपस्थिति कहां है।   80 प्रतिशत पदक लड़कियों ने हासिल किए हैं। ऐसे में लड़कों के कम प्रदर्शन पर राज्यपाल महोदया ने उन्हें भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। 
पूर्व विधायक सुरेंद्र बहादुर की प्रशंसा
कार्यक्रम में पूर्व विधायक सुरेंद्र बहादुर भी उपस्थित हुए। उन्होने विश्वविद्यालय के अतिथि गृह के लिए 1 करोड़ रूपये की धनराशि दान की थी। कुलाधिपति महोदया ने उनकी प्रशंसा करते हुए उन्हें मंच पर बुलाया और सम्मानित भी किया।  कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने उनके सहयोग के लिए आभार भी जताया। 
मुख्य अतिथि आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानंद सरस्वती ने इस अवसर पर भारतीय परंपराओं, मनीषा और ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होने नवरात्र के शुभ अवसर पर हुए इस कार्यक्रम के लिए कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल, कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय के उत्सव में आए हुए सभी छात्र-छात्राओं को राष्ट्र-समाज की बेहतरी के लिए कार्य करना होगा। उन्होने कहा कि डिग्री डिप्लोमा करने के बाद आसमान कोई भी छू सकता है लेकिन आसमान छूने से बेहतर है दिलों को छू लेना। उन्होने कहाकि पशु तक अपनी भाषा से प्यार करते हैं तो फिर हमें अपनी भाषा से प्यार होना ही चाहिए। उन्होने कहा कि लीडर बनने से बेहतर है लैडर बने।   
समारोह में विशिष्ट अतिथि के तौर पर बोलते हुए प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि अपनी भाषा में शिक्षा हो तो सहज और सरल होगी। उन्होने कुलाधिपति , राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल की तारीफ करते हुए कहा कि आदर्शों की बात करना आसान है पर आदर्शों पर चल कर उन्हे निभाना और खुद उस पर खरे उतरना कठिन है लेकिन राज्यपाल ने आदर्शों पर चल कर दिखाया है। 
समारोह में विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल हुई प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी ने कहा कि जीवन में सकारात्मक रहना चाहिए। सकारात्मक रहने से बड़ी सी बड़ी बाधाओं से पार पाया जा सकता है।
दीक्षांत समारोह में कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने विस्तार से विश्वविद्यालय की प्रगति और कार्यकलापों के बारे में जानकारी दी। उन्होने कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल का आभार जताते हुए उनके मार्गदर्शन में हो रहे विश्वविद्यालय के शैक्षिक, इन्फ्राक्सट्रक्चर डिवलेपमेंट के बारे में बिंदुवार आख्या प्रस्तुत की। प्रो पाठक ने विश्वविद्यालय में हुए डिजिटल डेवलपमेंट की विस्तार से चर्चा करते हुए, डिजिटल मूल्यांकन, फेसलेस सिस्टम, स्टूडेंट्स सपोर्ट सेल एवं ऑनलाइन वेरिफिकेशन से लेकर तमाम पोर्टल के बारे में विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया। समारोह में विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र- छात्राओं को कुलाधिपति स्वर्ण, रजत और कांस्य पदकों से सम्मानित किया गया। इस बार कुल 91 पदक दिए गए। दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में कानपुर के परिषदीय स्कूलों के कक्षा 5 से 8 तक के 30 स्कूली बच्चों और 25 आंगनबाड़ी केंद्रों की महिलाओं को भी माननीय कुलाधिपति महोदया ने सम्मानित किया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय परिसर के सभागार का नवीनीकरण का उद्घाटन एवं नामकरण भी समारोह में किया गया। समारोह के दौरान विश्वविद्यालय परिसर में सेवा उद्यान और अमृत सरोवर के साथ 21 योजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास भी किया गया। 
सेवा उद्यान की प्रशंसा
कुलाधिपति महोदया ने विश्वविद्यालय में पुरातन छात्रों के सहयोग से निर्मित सेवा उद्यान की प्रशंसा की। उन्होने वेस्ट मेटेरियल से बनने वाले उत्पादों की भी सराहना की। सेवा उद्यान विश्वविद्यालय के पुरातन विद्यार्थियों के सहयोग से बनाया गया है। इस उद्यान का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को सेवा के विषय में अवगत कराना है। छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ सेवा कार्यों के लिए प्रेरित करना है। 
अमृत सरोवर जल सरंक्षण का देगा संदेश
विश्वविद्यालय के अमृत सरोवर को नगर निगम एवं विश्वविद्यालय के सहयोग से निर्मित किया गया है। जल सरंक्षण की दिशा में विश्वविद्यालय की इस पहल की कुलाधिपति ने सराहना करते हुए इस अच्छा कदम बताया। समारोह के दौरान विश्वविद्यालय के इनोवेशन फाउंडेशन के तहत चल रहे छात्रों के स्टार्टअप्स का कुलाधिपति ने अवलोकन किया और स्टार्टअप्स से जुड़े दो छात्रों को सम्मानित भी किया। विश्वविद्यालय ने अपने पुरातन छात्र-छात्राओं के सहयोग से राजकीय बालगृह कानपुर में एक कम्प्यूटर लैब बनाई है। कुलाधिपति महोदया ने इसका भी ऑनलाइन उद्घाटन किया। 
बालगृह के बच्चों ने पेटिंग गिफ्ट की
समारोह में राजकीय बालगृह से आए स्टूडेंट्स ने कुलाधिपति महोदया को पेटिंग गिफ्ट की। दीक्षांत समारोह में बालगृह से 5 बच्चों को विशेष रूम से आमंत्रित किया गया था। इन बच्चों को राज्यपाल महोदया ने मंच से सम्मानित भी किया। 
अवगत कराना है कि मुख्य समारोह से पहले दीक्षोत्सव के तहत हफ्ते भर तक कई कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। इन कार्यक्रमों के तहत में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक, शैक्षिक एवं परंपरागत खेलों का आयोजन किया गया। दीक्षोत्सव के नाम से हुए इन कार्यक्रमों में विश्वविद्यालय के छात्रों ने बढ़ चढ़ कर भागीदारी की थी। दीक्षांत समारोह की समाप्ति के बाद प्रेक्षागृह में प्रति कुलपति प्रो सुधीर कुमार अवस्थी, डीएसडब्लू प्रो नीरज सिंह, डीन अकेडमिक प्रो रोली शर्मा, डीन प्रशासन प्रो सुधांशु पांड्या समेत सभी अधिकारियों ने स्टूडेंट्स को कैंपस के स्टूडेंट्स को पुरस्कार वितरित किए।

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