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कानपुर विश्वविद्यालय में मनाया गया 36 वां दीक्षांत समारोह मेडल और डिग्रियों में बेटियां रही अव्वल



विपिन सागर (मुख्य संपादक)

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय का 36वां दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में हुआ एवं मुख्य अतिथि सांसद राज्यसभा डा0 सुधांशु त्रिवेदी तथा विशिष्ट अतिथि प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती नीलिमा कटियार की उपस्थित में सम्पन्न हुआ।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुये राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के 36वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर गर्व महसूस कर रही हूॅ। आपके इस विश्वविद्यालय को छत्रपति शाहू जी महाराज नाम दिया गया है, छत्रपति शाहू जी महाराज को इतिहास में सामाजिक विषमताओं के खिलाफ संघर्ष करने और समाज में सामाजिक समानता को स्थापित करने के लिये जाना जाता है। वह समाज उत्थान के लिये महिला शिक्षा के उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने पर विशेष जोर देते थे। उन्होंने इस अवसर पर उनको कोटि-कोटि प्रणाम करते हुये एवं उपाधि प्राप्त करने वाले एवं पदक विजेताओं, उनके शिक्षकों एवं अभिभावकों को हार्दिक बधाई दी।

उन्होंने कहा कि इस दीक्षांत समारोह में दो लाख पैंतीस हजार दो सौ छप्पन विद्यार्थियों को उपाधियॉ प्रदान की जा रही है जिसमें एक लाख छब्बीस हजार आठ सौ पन्चानवें छात्राओं को उपाधियॉ दी जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारी बेटिया उच्च शिक्षा की ओर आगे बढ रही है, आज प्रत्येक क्षेत्र में हमारी बेटियों ने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज की है। समान अवसर मिलने पर हमारी बेटिया लडकों से आगे निकल चुकी है। इससे हमारे समाज में हो रहे परिर्वतन की झलक और नये भारत की तस्वीर साफ दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि आज पचास प्रतिशत से भी ज्यादा मेडल लेकर आगे बढ रही है।

दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों एवं कालेजो में जो बालिकाये शिक्षा ग्रहण कर रही है उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुये उनका हीमोग्लोबिन चेक कराना होगा। उन्होंने कहा कि हम एक ओर बालिकाओं को शिक्षित करें दूसरी ओर उनके स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखें। भारत सरकार महिलाओं को दो डिलवरी तक पौष्टिक भोजन व आहार के लिये पॉच हजार रुपये देती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने के साथ देश का भविष्य उज्जवल एवं सशक्त होना चाहिए तभी देश आगे बढेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के विषय में स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था कि जो शिक्षा साधारण व्यक्ति को जीवन संग्राम में समर्थ नही बना सकती जो मनुष्य में चरित्रबल व परहित भावना नही ला सकती वह भी कोई शिक्षा होती है, वास्तव में जिस शिक्षा के द्वारा जीवन में अपने पैरों पर खडा होना चाहता है वही शिक्षा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के उद्देश्य में ऐसी ही परिकल्पना की गयी है, जिसमें कहा गया है कि शिक्षा से चरित्र निर्माण होना चाहिये, विद्यार्थियों में नैतिकता, तार्कितता, करुणा और संवेदनशीलता विकसित की जानी चाहिये और इसके साथ ही विद्यार्थियों को रोजगार के लिये सक्षम बनाना चाहिये। इसका उद्देश्य शिक्षा नीति में सुधार करना और छात्रों में मौलिक दायित्व एवं समाजिक मूल्यों एवं देश के साथ जुडाव होना चाहिये।



उन्होंने कहा कि छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति के अनुरुप कौशल विकास को शामिल कर इस दिशा में आगे बढ रहा है। विश्वविद्यालय नित नये अनुप्रयोगों के लिये प्रयत्नशील है। विश्वविद्यालय में शोद्य व नवाचार को बढावा दिया जा रहा है तथा श्री रमन लघु शोद्य परियोजना की शुरुआत की गयी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्वरोजगार को बढावा देना बहुत महत्वपूर्ण हो रहा है। इस विश्वविद्यालय ने छात्र-छात्राओं को स्वरोजगार परक बनाने के लिये इनोवेशन, स्टार्टअप हेतु प्रेरित करने के लिये एक सेन्टर की स्थापना की है। विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों को सुलभ रोजगार के लिये केन्द्रीय पलेस्मेन्ट सेल की स्थापना की। उन्होंने कहा कि मुझे प्रशन्नता है कि विश्वविद्यालय द्वारा सामाजिक उत्थान एवं पुनर्वास में सक्रिय भूमिका का निर्वान्ह किया जा रहा है। इस दिशा में ग्रामीण अंचलो के आंगनबाडी केन्द्रों में सामग्री वितरित की है। विश्वविद्यालय द्वारा महिला ग्राम प्रधान को जागरुक करने के लिये कई प्रशिक्षण कार्यक्रम, सामाजिक कुरीतियों को हटाने के लिये आयोजित किये है। उन्होंने कहा कि हर प्रधान अपने गांव को टीवी मुक्त व कुपोषण मुक्त करने का कार्य करे।

इस अवसर पर राज्यपाल ने सर्वप्रथम सांसद राज्यसभा डा0 सुधांशु त्रिवेदी को डी लीट की मानद उपाधि प्रदान की इसके पश्चात उन्होंने विश्वविद्यालय की छात्र-छात्राओं को उपाधियॉ प्रदान की, जिसमें गुलिस्तानाज को विश्वविद्यालय के समस्त संकायों को सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी के लिये कुलाधिपति स्वर्ण पदक, रजत पदक सहित पॉच पदक, इसिका सिंह, इसानी द्विवेदी एवं सायनावानों को कुलाधिपति कास्य पदक प्रदान किये। विश्वविद्यालय के चिकित्सा संकाय में सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी के लिये साक्षी त्रिपाठी, उच्चतर सामाजिक विज्ञान संकाय में अंकित कुमार को कुलपति स्वर्ण पदक प्रदान किया। इसी क्रम में उन्होंने विभिन्न संकायों के 47 छात्र-छात्राओं को विभिन्न पदक प्रदान किये। कार्यक्रम में कला संकाय के 27, विज्ञान संकाय के 06, वाणिज्य संकाय के 04, शिक्षा प्रशिक्षण संकाय के 04, जीव विज्ञान व कृषि संकाय के एक-एक, व्यवसाय एवं प्रबंधन संकाय के 02 छात्र-छात्राओं को पीएचडी की उपाधि कुलपति द्वारा प्रदान की गयी।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि सांसद राज्यसभा डा0 सुधांशु त्रिवेदी ने संबोधित करते हुये कहा कि भारत की परम्परा में दीक्षा का महत्व शिक्षा के महत्व से अधिक है, शिक्षा तो निरन्तर प्राप्त की जा सकती है। शिक्षा आपके बुद्धि व मस्तिस्क का विकास करती है, जबकि दीक्षा आपकी चेतना का विकास करती है। इस अवसर पर राज्यमंत्री उच्च शिक्षा विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी श्रीमती नीलिमा कटियार ने अपने उद्बोधन में कहा कि वोकल फॉर लोकल के साथ छात्र छात्राओं को आगे बढ़ना चाहिए। जिन मूल्यों आदर्शों और परम्पराओं को पूरे विश्व ने स्वीकारा है, हमें उन्हें लेकर ही आगे बढ़ना है और भारत को विश्वगुरू के रूप में स्थापित करना है।


विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को बताते हुए कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय पहला ऐसा विश्वविद्यालय है जिसने नई शिक्षा नीति 2020 का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया। साथ ही उन्होंने बताया कि यहां पर 26 नए वोकेशनल कोर्स भी शुरू किए गए हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को राज्य सांसद सुधांशु त्रिवेदी द्वारा 50 लाख की धनराशि दी गई है उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के इनक्यूबेशन सेंटर के लिए सरकार द्वारा डेढ़ करोड़ की धनराशि दी गई है। साथ ही उन्होंने बताया कि 30 टी.बी से ग्रसित बच्चों को गोद लिया है और उनके भरण-पोषण की जिम्मेदारी ली है।

विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 45 पीएचडी छात्र-छात्राओं को कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल द्वारा उपाधि दी गयी जिसमें 25 छात्र (55.56प्रतिशत) तथा 20 (44.44 प्रतिशत) छात्राएं हैं। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांवों में स्थित परिषदीय स्कूलों के छात्र-छात्राओं को कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल द्वारा को प्रोत्साहन पुरस्कार दिया गया । कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल द्वारा कुल 86 पदक 55 छात्र-छात्राओं को दिए गए। पदक पाने वालों में 19 छात्र(34.55प्रतिशत) और 36 छात्राएं (65.45प्रतिशत) हैं।

विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं के अंकतालिका, प्रमाणपत्र, उपाधि पत्र, माइग्रेशन प्रमाणपत्र इत्यादि को डिजिटली सुरक्षित रखने के लिए “डिजिलॉकर” एप को भी लांच किया गया। इस सुविधा का उपयोग करते हुए छात्र-छात्राएं अपने विविध डॉक्यूमेंट्स को ऑनलाइन सुरक्षित रख सकेगें। इसके साथ ही विश्वविद्यालय ने अपने पहले प्रकाशन के रूप में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित अधिकांश व्यक्तियों का परिचय करवाने वाली एक पुस्तक का भी विमोचन किया गया। इस पुस्तक में विगत 3 वर्षाे के विजेताओं के बारे में जानकारी संकलित की गई।
दीक्षांत समारोह में सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना आवश्यक रहेगा। इस ऐप के लिए वि.वि. कुलपति प्रो0 विनय कुमार पाठक द्वारा छात्रों को 20 हजार की धनराशि दी गई थी, जिसके लिए छात्रों ने कुलपति महोदया को धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सीडीसी डॉ0 आर0के0 द्विवेदी, पी0एस0 चौधरी (वित्त अधिकारी), प्रो0 संजय कुमार स्वर्णकार, कुलसचिव डॉ0 अनिल यादव, प्रो0 सुधीर अवस्थी, प्रो0 नंदलाल, प्रो0सुधांशु पांडिया, डॉ0राशि अग्रवाल, सहायक मीडिया प्रभारी विवेक सचान, प्रो0सुविज्ञा अवस्थी, डॉ0 जितेंद्र डबराल, सुरक्षा प्रभारी डॉ0 आर0पी0सिंह, डॉ0प्रवीन कटियार आदि लोग मौजूद रहे।

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