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इस विश्वविद्यालय को अभी काटना पड़ेगा अस्थाई कुलपति के साथ समय। स्क्रीनिंग कमेटी ने शिक्षा के 5 महारथियों पर जताया भरोसा। उत्तर प्रदेश की गवर्नर को नहीं रास आए पांचो नाम। जबकि पांचों नाम में एक पूर्व कुलपति भी हैं शामिल। कारण क्या।


विपिन सागर (मुख्य संपादक)

उत्तर प्रदेश। शिक्षा विभाग में जहां प्रदेश भर में भ्रष्टाचार फैला हुआ है वही महीनों से खाली पड़ी आगरा विश्वविद्यालय को फिर स्थाई कुलपति पाने के लिए और महीनों तक इंतजार करना पड़ेगा।
आगरा विश्वविद्यालय के लिए देश भर से शिक्षा के महारथियों ने आवेदन किया था। लेकिन कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल को सभी अपात्र लगे और स्क्रीनिंग कमेटी के भेजे नामो को खारिज कर दिया।
आखिर क्यों जबकि आवेदन करने वाले महारथियों में पूर्व कुलपति भी शामिल थे, जिन पर कभी भ्रष्टाचार का आरोप भी नहीं लगा। उसके बावजूद भी आगरा विश्वविद्यालय को अभी भी अपने कुलपति के लिए और महीनों इंतजार करना पड़ेगा। सर्च कमेटी ने आगरा विश्वविद्यालय के लिए 5 नाम कुलाधिपति के सामने प्रेषित किए थे। जिसमें प्रोफेसर डीएस पांडे केमिस्ट्री डिपार्टमेंट बीएचयू विश्वविद्यालय से थे, तो वही दूसरा नाम प्रोफेसर सीमा जैन प्रिंसिपल जैन कन्या पाठशाला पीजी कॉलेज मुजफ्फरनगर से था। इतना ही नहीं प्रोफेसर सील सिंधु पांडे पूर्व कुलपति विक्रम यूनिवर्सिटी उज्जैन भी शामिल थे, जिनकी छवि बेहद साफ सुथरी बताते हैं। प्रो सिंधु पर भी कुलाधिपति ने विश्वास नहीं जताया। साथ ही प्रोफेसर एसपी त्रिवेदी जूलॉजी डिपार्टमेंट लखनऊ, भी शामिल थे। हाल ही में एकेटीयू के कार्यवाहक रहे कुलपति प्रोफेसर विनीत कंसल डायरेक्टर आईआईटी लखनऊ भी शामिल थे। स्क्रीनिंग कमेटी ने बड़ी सोच समझ के साथ इन 5 चेहरों को आगरा विश्वविद्यालय के लिए प्रेषित किया। लेकिन कुलाधिपति ने सभी को अपात्र मान लिया और नए प्रकिया की तैयारी सुरु करने की बात चर्चाओं में है। एक बड़ा सवाल खड़ा होता है, कहीं ऐसा ना हो और बेहतर के इंतजार में आगरा विश्वविद्यालय में किसी भ्रष्टाचार कुलपति की नियुक्ति हो जाये। आगरा विश्वविद्यालय  अभी कार्यवाहक कुलपति से ही चलती रहेगी। जबकि कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक पर स्वयं एक जिम्मेदार विश्वविद्यालय का भार है। ऐसे में कब तक दूसरे विश्वविद्यालय को समय दे पाएंगे। कहीं इन्हीं कारणों से कानपुर विश्वविद्यालय नैक में पीछे तो नहीं रह गया। आखिर इतनी बड़ी विश्वविद्यालय का भार संभालने के साथ-साथ प्रोफेसर विनय कुमार पाठक आगरा विश्वविद्यालय का भी  भार संभालें हैं। आखिर इतने पात्र लोगों को स्क्रीनिंग कमेटी ने चयन कर नामों को प्रेषित किया। लेकिन उत्तर प्रदेश की गवर्नर को एक भी नाम रास नहीं आया। 

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