प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के आगे फेल हुई उत्तर प्रदेश की हाईटेक एसटीएफ पुलिस फोर्स। लगभग 25 दिन बीतने के बाद भी UPSTF के हाथ प्रोफेसर विनय कुमार पाठक से कोसों दूर
विपिन सागर (मुख्य संपादक)
लखनऊ। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) को भी मात दे दी प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक पर लगे गंभीर आरोपों को देखते हुए उत्तर प्रदेश की एसटीएफ लगातार छानबीन कर रही है। उसके बावजूद भी अभी तक कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक का पता नही चला है।
पूरे मामले में हुई देरी
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होने के बाद। उत्तर प्रदेश की एसटीएफ पुलिस लगातार छानबीन कर रही है। लेकिन प्रोफेसर विनय कुमार पाठक का अभी तक कोई पता नहीं चला है। जहां एक तरफ एसटीएफ अजय कुमार मिश्रा और अजय जैन पर नकेल कसती जा रही है। वही प्रोफेसर विनय कुमार पाठक एसटीएफ से कोसों दूर है।
चर्चा में बनाए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक पर, गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होने के बाद एक के बाद एक गंभीर आरोप लगते ही जा रहे हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अभी तक किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के लिए नहीं की है। यहां तक प्रदेश के लोग यह भी कहने लगे हैं, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल प्रोफेसर विनय कुमार पाठक को या तो क्लीन चिट दे दें या फिर पद मुक्त कर पूर्ण रूप से जांच करवाएं। लेकिन इस समय उत्तर प्रदेश की राज्यपाल पूर्ण रूप से चुप्पी साधे हुई हैं।
सफेदपोशों का बताएं जा रहा है अहम रोल।
प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के मामले में पूरे प्रदेश में अब चर्चाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल पूरे मामले में चुप्पी साधे हुई हैं। तो वही दूसरी तरफ से शिक्षा विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ। इस मामले को हर तरफ सफेदपोशों के संरक्षक देने की बात कही जा रही है। आखिर कौन हैं, यह सफेदपोश जो इतने गंभीर मामले में संरक्षक दिए हैं। जिसकी वजह से अभी तक यूपी एसटीएफ के हाथ खाली हैं।
एसटीएफ को दिया टाइम खत्म
प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने, 25 नवंबर को एसटीएफ से समक्ष पेश होने की बात कही थी। लेकिन समय अवधि बीतने के बाद भी उत्तर प्रदेश की एसटीएफ के हाथ खाली हैं। जहां एक तरफ एकेटीयू और आगरा विश्वविद्यालय में मामले खुलते ही जा रहे हैं। वही एसटीएफ की कार्यवाही लोगों को कुछ समझ नहीं आ रही है। अपने को इतना हाईटेक कहने वाली यूपी एसटीएफ के हाथ अभी भी खाली कैसे हैं।
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