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उत्तर प्रदेश की एसटीएफ और प्रो विनय पाठक के बीच कब तक चलती रहेगी आंख मिचौली। निर्णय लेने वाले अधिकारियों ने रख रखा है मौन व्रत। आखिर कब टूटेगी अधिकारियों की चुप्पी, राज भवन कब होगा मीडिया से रूबरू।

विपिन सागर (मुख्य संपादक)

कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के मामले में अब एसटीएफ भी पूरी तरह शांत नजर आ रही है। कहीं ऐसा तो नहीं मामले में कुछ और नए बड़े खुलासे होने वाले हो, जिसकी वजह से शांति दिख रही है। हालांकि लगभग 1 माह होने जा रहा है, अभी तक प्रोफेसर विनय कुमार पाठक का पता नहीं है। कानपुर विश्वविद्यालय की कुर्सी खाली पड़ी हुई है, जिसकी वजह से तमाम ऐसे काम है जो रुके हुए हैं। आखिर राज भवन क्यों निर्णय लेने में कतरा रहा है। किसी तरह के निर्णय को लेकर अभी तक राजभवन ने मीडिया से बात नहीं की हालांकि इतने बड़े मामले में ना तो उत्तर प्रदेश सरकार सामने आई है और ना ही राज्यपाल। जिस तरह एसटीएफ पूरे मामले को तास के पत्तों की तरह खुलासा करती नजर आ रही। तो वहीं दूसरी तरफ कार्यवाही करने वाले अधिकारियों ने चुप्पी साद रखी है। आखिर उत्तर प्रदेश की इतनी हाईटेक स्पेशल टास्क फोर्स प्रोफेसर विनय कुमार पाठक का अभी तक पता नहीं कर पाई है। क्या प्रोफेसर पाठक के मामले में यहीं पूर्णविराम लगेगा या फिर कुछ और। बड़ी बात यह भी है कि कानपुर विश्वविद्यालय के लाखों छात्रों का भविष्य पिछले 1 माह से अंधकार में डूबता ही जा रहा है। लेकिन शिक्षा के अधिकारियों को और राजभवन में बैठी राज्यपाल को यह सब नजर ही नहीं आ रहा है। आखिर कब तक प्रोफेसर पाठक और स्पेशल टास्क फोर्स के बीच में आंख मिचौली चलती रहेगी

बड़ी बात
हालांकि सूत्रों का मानना है, इस सप्ताह राजभवन कोई बड़ा निर्णय लेने वाला है। अब देखना यह है इस बड़े निर्णय में प्रोफेसर विनय कुमार पाठक फिर से राज करेंगे या फिर प्रोफेसर पाठक की मुसीबतें बढ़ेगी। तेरी द हिंदी न्यूज़ जल्द लिखेंगे एक और बड़ी खबर

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