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कानपुर विश्वविद्यालय के शोधकर्ता छात्रों का भविष्य अंधकार मे, जिन शिक्षकों को नहीं है 5 वर्ष का अनुभव उनको भी बना दिया शोधकर्ता का गाइड।


विपिन सागर (मुख्य संपादक)

कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में, इन छात्र का भविष्य अंधकार में डूबा हुआ है। यह कोई स्नातक और परास्नातक के छात्र नहीं हैं। बल्कि पीएचडी शोधकर्ता हैं। हाल ही में हुए पीएचडी में दाखिले के शोधकर्ताओं का भविष्य इसलिए अंधकार में है। 1 माह से ज्यादा बीत जाने के बाद भी विश्वविद्यालय की कुलपति खाली पड़ी है साथ ही इन शोधकर्ताओं का भविष्य उन लोगों के हाथ में दिया है। जिनको स्वयं यूजीसी नियम के अनुसार अनुभव ही नहीं है। ऐसे में शोधकर्ता क्या सीख पाएगा और क्या अपनी रिसर्च कर पाएगा।

मामला यह विस्तार से
हाल ही में पी एच डी में दाखिला लेने वाले शोधकर्ताओं की कमान उन गाइड के हाथ में दे दी गई। जिनको स्वयं कोई अनुभव नहीं है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने अपने चहेते के हाथ में इन शोधकर्ता का का भविष्य दे दिया। अब ऐसे में सवाल खड़ा होता है, शोध करने वाले छात्र क्या कुछ सीख पाएंगे जिस लिए यूजीसी और राजभवन एक नई शोध और विचारधारा की सोच रखता है। ऐसे मैं उनको कोई नई शोध मिला पाएगी। आखिर अपने चहेतों के लिए क्यों लांगदी प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने सारी हदें। पढ़ते रहिए दा हिंदी न्यूज़ अगली खबर में दिखाएंगे एसएफएस के नियुक्तियों मैं कैसे हुआ खेल

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