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भगवत गीता करे पुकार ‘‘ ‘‘ भारत के युवकों हो तैयार


        
        श्रीमद्भगवतगीता जयंती आयोजन समिति कानपुर प्रान्त एवं छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यायलय कानपुर के संयुक्त तत्वाधान में विश्वविष्विद्यालय के वीरांगना लक्ष्मीबाई सभागार में आयोजित विशाल ‘‘ श्रीमद्भगवतगीता और जीवन में प्रबंधन ‘‘ विषय संगोष्ठी तथा श्रीमद्भगवतगीता जयंती आयोजक समिति कानपुर प्रान्त द्वारा अद्यतन भगवतगीता के प्रचार - प्रसार हेतु किये गए कार्यो को यथा ‘‘ गीता सन्देश यात्रा, विशाल मानव श्रृंखला, चक्रव्यूह मंचन , एक लाख गीतानुरागियो द्वारा समवेत स्वर में सामूहिक गीता पाठ ‘‘ ग्रीन पार्क एवं चैत्र प्रतिप्रदा नववर्ष पर विशाल गीता सन्देश यात्रा तथा वर्ष पर्यन्त सैकड़ो छोटी बड़ी बैठक एवं सेमिनार आदि को स्थायी स्मरण हेतु ‘‘ गीता का कालजयी सन्देश ‘‘ स्मारिका व विमोचन भव्य सभागार में विश्व गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानन्द महाराज के षुभ कर कमलो द्वारा किया गया , वही श्रीमद्भगवत एवं जीवन प्रबंधन विषय पर अपना वैश्विक प्रभावी उद्बोधन हजारो -हजार उपस्थित गीतानुरागी जनों मध्य प्रदान कर मन  मस्तिक के तारांे का झंकित करते हुये गीतानुसरण हेतु प्रेरित किया तथा सभामध्य युवकों एवं समाज में अग्रणी जनों को गीता अपने व्यवहार में उतारने एवं कृष्ण के व्यक्तित्व को अपने जीवन में जीने के लिये प्रेरित किया। माताओं एवं बहनांे को श्रीमद्भगवत गीता को अपने आचरण में उतारने एवं नवागंतुक पीढ़ी को गुरुवत धारण कराने हेतु तैयार रहने का  आहवाहन किया तथा सभा मध्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि भारत की सभ्यता व संस्कृति प्राचीनतम व सनातन है। हम केवल शरीर की बात नही करते हम शरीर को केवल माध्यम मानते है, आत्मा की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये जबकि पश्चिमी देश केवल शारीरिक सुख व उपभोग की बात करते है। उन्होने जियो गीता एप के माध्यम से रोज कुछ मिनट पढ़ने व सुनने का आग्रह प्रत्येक व्यक्ति से किया उन्होंने और श्रीमदभगवत गीता में कृष्ण के व्यक्तित्व एवं योग को जीवन में उतारने हेतु प्रेरित किया गया एवं यह भी कहा किभारत पुनःकृष्ण के व्यक्तित्व को धारण कर जगतगुरु के सिंघासन पर आरूढ़ होने जा रहा है इक्कीसवीं सदीं भारत की सदीं होगी।
वीरांगना लक्ष्मीबाई सभागार में उपस्थित समस्त विद्ववतत्वजनों एवं उद्यमियों,शिक्षकों छात्रों चिकत्स्कों तथा युवाआंे के मध्य, भारत ही नहीं वरन विश्व में प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक की ख्याति प्राप्त डाक्टर सुधांशु त्रिवेदी (सांसद राज्यसभा) जिनका व्यक्तव्य एवं ओजस्वी उद्बोधन सुनने के लिये दूरदराज के जनपदों से राष्ट्रीय विचार धारा से ओत-प्रोत युवा बड़े समूहों में विश्वविद्यालय के सभागार में पधार कर ”गीता ग्रथ महान है भारत की पहचान है “ ‘‘ गीता पढ़ो- जीवन गढ़ो‘‘  जय जय श्री राम के गगनभेदी नारांे से सभागार गुंजायमान हो गया।  प्रखर राष्ट्रवादी विचारक डाक्टर सुधांशु त्रिवेदी जी ने कहा भारतीय स्वाभिमान एवं ज्ञान का अक्षुण्यश्रोत श्रीमद्भगवत गीता को ही केंद्र मानकर युवाआंे को अपने ओजस्वी विचारों एवं उद्बोधन सेे ओत-प्रोत कर युवाओ को कृष्ण की भाति एक हाथ में शत्रु के विनाशाय सुर्दशन चक्र तथा दूसरे हाथ से अपने राष्ट्र, धर्म एवं समाज के सम्वर्धन हेतु वरद मुद्रा धारण कर जीवन जीने हेतु आजके परिपेक्ष्य में कृष्ण के व्यवहार एवं व्यक्तित्व को जीवन में धारण करने हेतु प्रेरित किया । सभा मध्य डाक्टर सुधांशु त्रिवेदी जी ने कहा कि हम अपने गौरव भूल कर विदेशी मानसिकता में जकड़े हुये है। हमारे सभी ग्रंथ हमे अनुशासित होकर पहले स्वयं को पहचानकर व्यक्ति निर्माण की बात पहचानकर व्यक्ति निर्माण की बात कहते है और फिर पूरी श्रृष्टि को सम्मान देकर सर्वे भवंतु सुखिनः को उद्ेश्य मानकर जीवन पर्यन्त कार्य करने की प्रेरणा देते है।        सभा में प्रमुख रूप से संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रो0 विनय पाठक जी ने सभागार में पधारे गढ़मान्य जनांे का स्वागत कर अपने उद्बोधन में कहा कि सभी विश्वविद्यालय के साथ-साथ समस्त  महाविद्यालय में समस्त शैक्षिक कार्याे की गुणवत्ता बढ़ाकर विद्यार्थियों का सर्वंगीण विकास हो सके ऐसा प्रयास किया जा रहा है इसी कड़ी में मै आज विश्वविद्यालय में श्रीमद्भगवतगीता जंयती आयोजन समिति के साथ मिलकर   अपने यहाँ श्रीमद्भगवत गीतापीठ /चेयर /चैप्टर की स्थापना कि घोषणा करता हॅू इससे विश्वविद्यालय में श्रीमद्भगवतगीता एवं अन्य वैदिक ग्रंथों पर शोध, व्याख्यान, संगोष्ठी, कार्यशाला प्रषिक्षण आदि पर स्वतंत्र रूप से कार्य हेतु श्रीमद्भगवतगीता पीठ की स्थापना की गयी है जिससे गीता का प्रचार-प्रसार वैष्विक रूप से होना संभव होगा, इस हेतु स्वामी ज्ञानानन्द जी ने श्रीमद्भगवतगीता की भव्य विषाल सुन्दर प्रति की विश्वविद्यालय के लाइब्रेरी में स्थापना की है। 
सभामध्य एलेन हाउस समूह के निदेषक एवं षिक्षाविद श्रीमान मुक्तारूल अमीन ने युवकों केा धर्म सम्प्रदाय एवं संकीर्ण मानसिकता से ऊपर उठकर गीता वैष्विक ग्रन्थ में उल्लिखित कर्म योग पर अपना ध्यान केन्द्रित कर राष्ट्र एवं समाज की उन्नति पर अपना अधिकाधिक समय देने हेतु प्रेरित किया क्यों कि समृद्व और षक्तिषाली राष्ट्र ही विष्व में पहचान होंगे। क्योंकि हम सभी पूरे विष्व में भारतवासी की पहचान रखते है हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि बाद में।उन्होंने कहा कि गीता भारतीय महाद्विप के समस्त दर्शन का सारग्रन्थ है यह पंथ मजहब से परे सम्पूर्ण मानवता का ग्रंथ है इसमे किसी पूजा पद्ति का विवरण न होकर आस्तिक होकर जीवन की सत्यता का भान कराती है यह हमे जीवन जीने की कला अच्छे बुरे की समझ जगाती है। गीता का ज्ञान व कर्म योग का पक्ष बहुत ही तार्किक व वैज्ञानिक है। विश्व के अनगिनत महान वैज्ञानिको, समाजिक कार्य कर्ताओं जैसे आइंस्टीन, ओपेन हाइमर, महात्मा गॉधी, अब्दुल कलाम आदि ने इसके माध्यम से कर्न्तव्य बोध द्वारा अपने जीवन को सार्थक बनाया व संसार को बड़ा योगदान दिया अतः आज के इस संक्रमण काल में वैश्विक शांति,भाई चारा इस ग्रंथ के माध्यम से संभव है।
संगोष्ठी के आयोजनकर्ता एवं संयोजक तथा श्रीमद्भगवतगीता आयोजन समिति के संरक्षक डा0 उमेश पालीवाल जी ने पूर्व के सभी कार्यक्रम का संयोगमत्व करते हुये गीता आन्दोलन की समाज मे उपयोगिता बतायी उन्होने गोष्ठी मध्य कहा कि आज सबसे पहले ”हम सुधरेंगे - युग सुधरेगा“ उक्ति को धारण कर श्रीमद्भगवतगीता को सबसे पहले अपने जीवन एवं आचरण में उतारें तथा गीता में जिये तभी हम राष्ट्र की साधना पूर्व मन के साथ कर भारत को स्वाभिमानी एवं षक्तिषाली बना पायेंगे। उन्होने आये हुये गणमान्यों से निवेदन किया कि कानपुर से प्रारम्भ हुये आन्दोलन को गति प्रदान कर सभी जन श्री गीता को राष्ट्रीय ग्रन्थ बनाने एवं विद्यालय से विष्वविद्यालय तक पाठ्यक्रम मे षमिल करवाने हेतु युवाओं एवं गणमान्यों का आह्वाहन किया। उन्होने डा0 सुधांशू त्रिवेदी जी को समिति की ओर से गीता को पाठ्यक्रमों मे शामिल कर इसे राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिये तथा वैश्विक धर्म ग्रंथ की मान्यता दिलाने के लिये भारत सरकार/संसद को एक प्रतिपादन भी भेंट किया।
गोष्ठी में प्रमुख रूप से डा0 उमेष पालीवाल, प्रो0 राजेष द्विवेदी, प्रो0 प्रषान्त मिश्रा, प्रो0 अनिल मिश्रा तथा शहर के गणमान्य जनों को गीता कर्मवीर सम्मान से भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी, कुलसचिव डॉ अनिल यादव, महाविद्यालय विकास परिषद के निदेशक डॉ. आर. के. द्विवेदी, कला मानविकी एवं समाजिक विज्ञान के निदेशक डॉ. प्रशांत मिश्रा, डॉ. रिचा मिश्रा, डॉ. अभिषेक मिश्रा, डॉ. मानस उपाध्याय आदि मौजूद रहे।

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